अज़-ज़ारियात
قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ أَيُّهَا الْمُرْسَلُونَ31
उसने कहा, "ऐ (अल्लाह के भेजे हुए) दूतों, तुम्हारे सामने क्या मुहिम है?"
قَالُوا إِنَّا أُرْسِلْنَا إِلَىٰ قَوْمٍ مُجْرِمِينَ32
उन्होंने कहा, "हम एक अपराधी क़ौम की ओर भेजे गए है;
لِنُرْسِلَ عَلَيْهِمْ حِجَارَةً مِنْ طِينٍ33
"ताकि उनके ऊपर मिट्टी के पत्थर (कंकड़) बरसाएँ,
مُسَوَّمَةً عِنْدَ رَبِّكَ لِلْمُسْرِفِينَ34
जो आपके रब के यहाँ सीमा का अतिक्रमण करनेवालों के लिए चिन्हित है।"
فَأَخْرَجْنَا مَنْ كَانَ فِيهَا مِنَ الْمُؤْمِنِينَ35
फिर वहाँ जो ईमानवाले थे, उन्हें हमने निकाल लिया;
فَمَا وَجَدْنَا فِيهَا غَيْرَ بَيْتٍ مِنَ الْمُسْلِمِينَ36
किन्तु हमने वहाँ एक घर के अतिरिक्त मुसलमानों (आज्ञाकारियों) का और कोई घर न पाया
وَتَرَكْنَا فِيهَا آيَةً لِلَّذِينَ يَخَافُونَ الْعَذَابَ الْأَلِيمَ37
इसके पश्चात हमने वहाँ उन लोगों के लिए एक निशानी छोड़ दी, जो दुखद यातना से डरते है
وَفِي مُوسَىٰ إِذْ أَرْسَلْنَاهُ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ بِسُلْطَانٍ مُبِينٍ38
और मूसा के वृतान्त में भी (निशानी है) जब हमने फ़िरऔन के पास के स्पष्ट प्रमाण के साथ भेजा,
فَتَوَلَّىٰ بِرُكْنِهِ وَقَالَ سَاحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ39
किन्तु उसने अपनी शक्ति के कारण मुँह फेर लिया और कहा, "जादूगर है या दीवाना।"
فَأَخَذْنَاهُ وَجُنُودَهُ فَنَبَذْنَاهُمْ فِي الْيَمِّ وَهُوَ مُلِيمٌ40
अन्ततः हमने उसे और उसकी सेनाओं को पकड़ लिया और उन्हें गहरे पानी में फेंक दिया, इस दशा में कि वह निन्दनीय था
وَفِي عَادٍ إِذْ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ الرِّيحَ الْعَقِيمَ41
और आद में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि हमने उनपर अशुभ वायु चला दी
مَا تَذَرُ مِنْ شَيْءٍ أَتَتْ عَلَيْهِ إِلَّا جَعَلَتْهُ كَالرَّمِيمِ42
वह जिस चीज़ पर से गुज़री उसे उसने जीर्ण-शीर्ण करके रख दिया
وَفِي ثَمُودَ إِذْ قِيلَ لَهُمْ تَمَتَّعُوا حَتَّىٰ حِينٍ43
और समुद्र में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि उनसे कहा गया, "एक समय तक मज़े कर लो!"
فَعَتَوْا عَنْ أَمْرِ رَبِّهِمْ فَأَخَذَتْهُمُ الصَّاعِقَةُ وَهُمْ يَنْظُرُونَ44
किन्तु उन्होंने अपने रब के आदेश की अवहेलना की; फिर कड़क ने उन्हें आ लिया और वे देखते रहे
فَمَا اسْتَطَاعُوا مِنْ قِيَامٍ وَمَا كَانُوا مُنْتَصِرِينَ45
फिर वे न खड़े ही हो सके और न अपना बचाव ही कर सके
وَقَوْمَ نُوحٍ مِنْ قَبْلُ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا قَوْمًا فَاسِقِينَ46
और इससे पहले नूह की क़ौम को भी पकड़ा। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग थे
وَالسَّمَاءَ بَنَيْنَاهَا بِأَيْدٍ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ47
आकाश को हमने अपने हाथ के बल से बनाया और हम बड़ी समाई रखनेवाले है
وَالْأَرْضَ فَرَشْنَاهَا فَنِعْمَ الْمَاهِدُونَ48
और धरती को हमने बिछाया, तो हम क्या ही ख़ूब बिछानेवाले है
وَمِنْ كُلِّ شَيْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ49
और हमने हर चीज़ के जोड़े बनाए, ताकि तुम ध्यान दो
فَفِرُّوا إِلَى اللَّهِ ۖ إِنِّي لَكُمْ مِنْهُ نَذِيرٌ مُبِينٌ50
अतः अल्लाह की ओर दौड़ो। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ
وَلَا تَجْعَلُوا مَعَ اللَّهِ إِلَـٰهًا آخَرَ ۖ إِنِّي لَكُمْ مِنْهُ نَذِيرٌ مُبِينٌ51
और अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य-प्रभु न ठहराओ। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ
كَذَٰلِكَ مَا أَتَى الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ مِنْ رَسُولٍ إِلَّا قَالُوا سَاحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ52
इसी तरह उन लोगों के पास भी, जो उनसे पहले गुज़र चुके है, जो भी रसूल आया तो उन्होंने बस यही कहा, "जादूगर है या दीवाना!"
أَتَوَاصَوْا بِهِ ۚ بَلْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُونَ53
क्या उन्होंने एक-दूसरे को इसकी वसीयत कर रखी है? नहीं, बल्कि वे है ही सरकश लोग
فَتَوَلَّ عَنْهُمْ فَمَا أَنْتَ بِمَلُومٍ54
अतः उनसे मुँह फेर लो अब तुमपर कोई मलामत नहीं
وَذَكِّرْ فَإِنَّ الذِّكْرَىٰ تَنْفَعُ الْمُؤْمِنِينَ55
और याद दिलाते रहो, क्योंकि याद दिलाना ईमानवालों को लाभ पहुँचाता है
وَمَا خَلَقْتُ الْجِنَّ وَالْإِنْسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ56
मैंने तो जिन्नों और मनुष्यों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी बन्दगी करे
مَا أُرِيدُ مِنْهُمْ مِنْ رِزْقٍ وَمَا أُرِيدُ أَنْ يُطْعِمُونِ57
मैं उनसे कोई रोज़ी नहीं चाहता और न यह चाहता हूँ कि वे मुझे खिलाएँ
إِنَّ اللَّهَ هُوَ الرَّزَّاقُ ذُو الْقُوَّةِ الْمَتِينُ58
निश्चय ही अल्लाह ही है रोज़ी देनेवाला, शक्तिशाली, दृढ़
فَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا ذَنُوبًا مِثْلَ ذَنُوبِ أَصْحَابِهِمْ فَلَا يَسْتَعْجِلُونِ59
अतः जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उनके लिए एक नियत पैमाना है; जैसा उनके साथियों का नियत पैमाना था। अतः वे मुझसे जल्दी न मचाएँ!
فَوَيْلٌ لِلَّذِينَ كَفَرُوا مِنْ يَوْمِهِمُ الَّذِي يُوعَدُونَ60
अतः इनकार करनेवालों के लिए बड़ी खराबी है, उनके उस दिन के कारण जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही है
अत-तूर
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
وَالطُّورِ1
गवाह है तूर पर्वत,
وَكِتَابٍ مَسْطُورٍ2
और लिखी हुई किताब;
فِي رَقٍّ مَنْشُورٍ3
फैले हुए झिल्ली के पन्ने में
وَالْبَيْتِ الْمَعْمُورِ4
और बसा हुआ घर;
وَالسَّقْفِ الْمَرْفُوعِ5
और ऊँची छत;
وَالْبَحْرِ الْمَسْجُورِ6
और उफनता समुद्र
إِنَّ عَذَابَ رَبِّكَ لَوَاقِعٌ7
कि तेरे रब की यातना अवश्य घटित होकर रहेगी;
مَا لَهُ مِنْ دَافِعٍ8
जिसे टालनेवाला कोई नहीं;
يَوْمَ تَمُورُ السَّمَاءُ مَوْرًا9
जिस दिल आकाश बुरी तरह डगमगाएगा;
وَتَسِيرُ الْجِبَالُ سَيْرًا10
और पहाड़ चलते-फिरते होंगे;
فَوَيْلٌ يَوْمَئِذٍ لِلْمُكَذِّبِينَ11
तो तबाही है उस दिन, झुठलानेवालों के लिए;
الَّذِينَ هُمْ فِي خَوْضٍ يَلْعَبُونَ12
जो बात बनाने में लगे हुए खेल रहे है
يَوْمَ يُدَعُّونَ إِلَىٰ نَارِ جَهَنَّمَ دَعًّا13
जिस दिन वे धक्के दे-देकर जहन्नम की ओर ढकेले जाएँगे
هَـٰذِهِ النَّارُ الَّتِي كُنْتُمْ بِهَا تُكَذِّبُونَ14
(कहा जाएगा), "यही है वह आग जिसे तुम झुठलाते थे
أَفَسِحْرٌ هَـٰذَا أَمْ أَنْتُمْ لَا تُبْصِرُونَ15
"अब भला (बताओ) यह कोई जादू है या तुम्हे सुझाई नहीं देता?
اصْلَوْهَا فَاصْبِرُوا أَوْ لَا تَصْبِرُوا سَوَاءٌ عَلَيْكُمْ ۖ إِنَّمَا تُجْزَوْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ16
"जाओ, झुलसो उसमें! अब धैर्य से काम लो या धैर्य से काम न लो; तुम्हारे लिए बराबर है। तुम वही बदला पा रहे हो, जो तुम करते रहे थे।"
إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي جَنَّاتٍ وَنَعِيمٍ17
निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ों और नेमतों में होंगे
فَاكِهِينَ بِمَا آتَاهُمْ رَبُّهُمْ وَوَقَاهُمْ رَبُّهُمْ عَذَابَ الْجَحِيمِ18
जो कुछ उनके रब ने उन्हें दिया होगा, उसका आनन्द ले रहे होंगे और इस बात से कि उनके रब ने उन्हें भड़कती हुई आग से बचा लिया -
كُلُوا وَاشْرَبُوا هَنِيئًا بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ19
"मज़े से खाओ और पियो उन कर्मों के बदले में जो तुम करते रहे हो।"
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ سُرُرٍ مَصْفُوفَةٍ ۖ وَزَوَّجْنَاهُمْ بِحُورٍ عِينٍ20
- पंक्तिबद्ध तख़्तो पर तकिया लगाए हुए होंगे और हम बड़ी आँखोंवाली हूरों (परम रूपवती स्त्रियों) से उनका विवाह कर देंगे
وَالَّذِينَ آمَنُوا وَاتَّبَعَتْهُمْ ذُرِّيَّتُهُمْ بِإِيمَانٍ أَلْحَقْنَا بِهِمْ ذُرِّيَّتَهُمْ وَمَا أَلَتْنَاهُمْ مِنْ عَمَلِهِمْ مِنْ شَيْءٍ ۚ كُلُّ امْرِئٍ بِمَا كَسَبَ رَهِينٌ21
जो लोग ईमान लाए और उनकी सन्तान ने भी ईमान के साथ उसका अनुसरण किया, उनकी सन्तान को भी हम उनसे मिला देंगे, और उनके कर्म में से कुछ भी कम करके उन्हें नहीं देंगे। हर व्यक्ति अपनी कमाई के बदले में बन्धक है
وَأَمْدَدْنَاهُمْ بِفَاكِهَةٍ وَلَحْمٍ مِمَّا يَشْتَهُونَ22
और हम उन्हें मेवे और मांस, जिसकी वे इच्छा करेंगे दिए चले जाएँगे
يَتَنَازَعُونَ فِيهَا كَأْسًا لَا لَغْوٌ فِيهَا وَلَا تَأْثِيمٌ23
वे वहाँ आपस में प्याले हाथोंहाथ ले रहे होंगे, जिसमें न कोई बेहूदगी होगी और न गुनाह पर उभारनेवाली कोई बात,
وَيَطُوفُ عَلَيْهِمْ غِلْمَانٌ لَهُمْ كَأَنَّهُمْ لُؤْلُؤٌ مَكْنُونٌ24
और उनकी सेवा में सुरक्षित मोतियों के सदृश किशोर दौड़ते फिरते होंगे, जो ख़ास उन्हीं (की सेवा) के लिए होंगे
وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ25
उनमें से कुछ व्यक्ति कुछ व्यक्तियों की ओर हाल पूछते हुए रुख़ करेंगे,
قَالُوا إِنَّا كُنَّا قَبْلُ فِي أَهْلِنَا مُشْفِقِينَ26
कहेंगे, "निश्चय ही हम पहले अपने घरवालों में डरते रहे है,
فَمَنَّ اللَّهُ عَلَيْنَا وَوَقَانَا عَذَابَ السَّمُومِ27
"अन्ततः अल्लाह ने हमपर एहसास किया और हमें गर्म विषैली वायु की यातना से बचा लिया
إِنَّا كُنَّا مِنْ قَبْلُ نَدْعُوهُ ۖ إِنَّهُ هُوَ الْبَرُّ الرَّحِيمُ28
"इससे पहले हम उसे पुकारते रहे है। निश्चय ही वह सदव्यवहार करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।"
فَذَكِّرْ فَمَا أَنْتَ بِنِعْمَتِ رَبِّكَ بِكَاهِنٍ وَلَا مَجْنُونٍ29
अतः तुम याद दिलाते रहो। अपने रब की अनुकम्पा से न तुम काहिन (ढोंगी भविष्यवक्ता) हो और न दीवाना
أَمْ يَقُولُونَ شَاعِرٌ نَتَرَبَّصُ بِهِ رَيْبَ الْمَنُونِ30
या वे कहते है, "वह कवि है जिसके लिए हम काल-चक्र की प्रतीक्षा कर रहे है?"
قُلْ تَرَبَّصُوا فَإِنِّي مَعَكُمْ مِنَ الْمُتَرَبِّصِينَ31
कह दो, "प्रतीक्षा करो! मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।"
أَمْ تَأْمُرُهُمْ أَحْلَامُهُمْ بِهَـٰذَا ۚ أَمْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُونَ32
या उनकी बुद्धियाँ यही आदेश दे रही है, या वे ही है सरकश लोग?
أَمْ يَقُولُونَ تَقَوَّلَهُ ۚ بَلْ لَا يُؤْمِنُونَ33
या वे कहते है, "उसने उस (क़ुरआन) को स्वयं ही कह लिया है?" नहीं, बल्कि वे ईमान नहीं लाते
فَلْيَأْتُوا بِحَدِيثٍ مِثْلِهِ إِنْ كَانُوا صَادِقِينَ34
अच्छा यदि वे सच्चे है तो उन्हें उस जैसी वाणी ले आनी चाहिए
أَمْ خُلِقُوا مِنْ غَيْرِ شَيْءٍ أَمْ هُمُ الْخَالِقُونَ35
या वे बिना किसी चीज़ के पैदा हो गए? या वे स्वयं ही अपने स्रष्टाँ है?
أَمْ خَلَقُوا السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ ۚ بَلْ لَا يُوقِنُونَ36
या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया?
أَمْ عِنْدَهُمْ خَزَائِنُ رَبِّكَ أَمْ هُمُ الْمُصَيْطِرُونَ37
या उनके पास तुम्हारे रब के खज़ाने है? या वही उनके परिरक्षक है?
أَمْ لَهُمْ سُلَّمٌ يَسْتَمِعُونَ فِيهِ ۖ فَلْيَأْتِ مُسْتَمِعُهُمْ بِسُلْطَانٍ مُبِينٍ38
या उनके पास कोई सीढ़ी है जिसपर चढ़कर वे (कान लगाकर) सुन लेते है? फिर उनमें से जिसने सुन लिया हो तो वह ले आए स्पष्ट प्रमाण
أَمْ لَهُ الْبَنَاتُ وَلَكُمُ الْبَنُونَ39
या उस (अल्लाह) के लिए बेटियाँ है और तुम्हारे अपने लिए बेटे?
أَمْ تَسْأَلُهُمْ أَجْرًا فَهُمْ مِنْ مَغْرَمٍ مُثْقَلُونَ40
या तुम उनसे कोई पारिश्रामिक माँगते हो कि वे तावान के बोझ से दबे जा रहे है?
أَمْ عِنْدَهُمُ الْغَيْبُ فَهُمْ يَكْتُبُونَ41
या उनके पास परोक्ष (स्पष्ट) है जिसके आधार पर वे लिए रहे हो?
أَمْ يُرِيدُونَ كَيْدًا ۖ فَالَّذِينَ كَفَرُوا هُمُ الْمَكِيدُونَ42
या वे कोई चाल चलना चाहते है? तो जिन लोगों ने इनकार किया वही चाल की लपेट में आनेवाले है
أَمْ لَهُمْ إِلَـٰهٌ غَيْرُ اللَّهِ ۚ سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يُشْرِكُونَ43
या अल्लाह के अतिरिक्त उनका कोई और पूज्य-प्रभु है? अल्लाह महान और उच्च है उससे जो वे साझी ठहराते है
وَإِنْ يَرَوْا كِسْفًا مِنَ السَّمَاءِ سَاقِطًا يَقُولُوا سَحَابٌ مَرْكُومٌ44
यदि वे आकाश का कोई टुकटा गिरता हुआ देखें तो कहेंगे, "यह तो परत पर परत बादल है!"
فَذَرْهُمْ حَتَّىٰ يُلَاقُوا يَوْمَهُمُ الَّذِي فِيهِ يُصْعَقُونَ45
अतः छोडो उन्हें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन का सामना करें जिसमें उनपर वज्रपात होगा;
يَوْمَ لَا يُغْنِي عَنْهُمْ كَيْدُهُمْ شَيْئًا وَلَا هُمْ يُنْصَرُونَ46
जिस दिन उनकी चाल उनके कुछ भी काम न आएगी और न उन्हें कोई सहायता ही मिलेगी;
وَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا عَذَابًا دُونَ ذَٰلِكَ وَلَـٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ47
और निश्चय ही जिन लोगों ने ज़ुल्म किया उनके लिए एक यातना है उससे हटकर भी, परन्तु उनमें से अधिकतर जानते नहीं
وَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ فَإِنَّكَ بِأَعْيُنِنَا ۖ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ حِينَ تَقُومُ48
अपने रब का फ़ैसला आने तक धैर्य से काम लो, तुम तो हमारी आँखों में हो, और जब उठो तो अपने रब का गुणगान करो;
وَمِنَ اللَّيْلِ فَسَبِّحْهُ وَإِدْبَارَ النُّجُومِ49
रात की कुछ घड़ियों में भी उसकी तसबीह करो, और सितारों के पीठ फेरने के समय (प्रातःकाल) भी
अन-नज्म
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
وَالنَّجْمِ إِذَا هَوَىٰ1
गवाह है तारा, जब वह नीचे को आए
مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمْ وَمَا غَوَىٰ2
तुम्हारी साथी (मुहम्मह सल्ल॰) न गुमराह हुआ और न बहका;
وَمَا يَنْطِقُ عَنِ الْهَوَىٰ3
और न वह अपनी इच्छा से बोलता है;
إِنْ هُوَ إِلَّا وَحْيٌ يُوحَىٰ4
वह तो बस एक प्रकाशना है, जो की जा रही है
عَلَّمَهُ شَدِيدُ الْقُوَىٰ5
उसे बड़ी शक्तियोंवाले ने सिखाया,
ذُو مِرَّةٍ فَاسْتَوَىٰ6
स्थिर रीतिवाले ने।
وَهُوَ بِالْأُفُقِ الْأَعْلَىٰ7
अतः वह भरपूर हुआ, इस हाल में कि वह क्षितिज के उच्चतम छोर पर है
ثُمَّ دَنَا فَتَدَلَّىٰ8
फिर वह निकट हुआ और उतर गया
فَكَانَ قَابَ قَوْسَيْنِ أَوْ أَدْنَىٰ9
अब दो कमानों के बराबर या उससे भी अधिक निकट हो गया
فَأَوْحَىٰ إِلَىٰ عَبْدِهِ مَا أَوْحَىٰ10
तब उसने अपने बन्दे की ओर प्रकाशना की, जो कुछ प्रकाशना की।
مَا كَذَبَ الْفُؤَادُ مَا رَأَىٰ11
दिल ने कोई धोखा नहीं दिया, जो कुछ उसने देखा;
أَفَتُمَارُونَهُ عَلَىٰ مَا يَرَىٰ12
अब क्या तुम उस चीज़ पर झगड़ते हो, जिसे वह देख रहा है? -
وَلَقَدْ رَآهُ نَزْلَةً أُخْرَىٰ13
और निश्चय ही वह उसे एक बार और
عِنْدَ سِدْرَةِ الْمُنْتَهَىٰ14
'सिदरतुल मुन्तहा' (परली सीमा के बेर) के पास उतरते देख चुका है
عِنْدَهَا جَنَّةُ الْمَأْوَىٰ15
उसी के निकट 'जन्नतुल मावा' (ठिकानेवाली जन्नत) है। -
إِذْ يَغْشَى السِّدْرَةَ مَا يَغْشَىٰ16
जबकि छा रहा था उस बेर पर, जो कुछ छा रहा था
مَا زَاغَ الْبَصَرُ وَمَا طَغَىٰ17
निगाह न तो टेढ़ी हुइ और न हद से आगे बढ़ी
لَقَدْ رَأَىٰ مِنْ آيَاتِ رَبِّهِ الْكُبْرَىٰ18
निश्चय ही उसने अपने रब की बड़ी-बड़ी निशानियाँ देखीं
أَفَرَأَيْتُمُ اللَّاتَ وَالْعُزَّىٰ19
तो क्या तुमने लात और उज़्ज़ा
وَمَنَاةَ الثَّالِثَةَ الْأُخْرَىٰ20
और तीसरी एक और (देवी) मनात पर विचार किया?
أَلَكُمُ الذَّكَرُ وَلَهُ الْأُنْثَىٰ21
क्या तुम्हारे लिए तो बेटे है उनके लिए बेटियाँ?
تِلْكَ إِذًا قِسْمَةٌ ضِيزَىٰ22
तब तो यह बहुत बेढ़ंगा और अन्यायपूर्ण बँटवारा हुआ!
إِنْ هِيَ إِلَّا أَسْمَاءٌ سَمَّيْتُمُوهَا أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمْ مَا أَنْزَلَ اللَّهُ بِهَا مِنْ سُلْطَانٍ ۚ إِنْ يَتَّبِعُونَ إِلَّا الظَّنَّ وَمَا تَهْوَى الْأَنْفُسُ ۖ وَلَقَدْ جَاءَهُمْ مِنْ رَبِّهِمُ الْهُدَىٰ23
वे तो बस कुछ नाम है जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए है। अल्लाह ने उनके लिए कोई सनद नहीं उतारी। वे तो केवल अटकल के पीछे चले रहे है और उनके पीछे जो उनके मन की इच्छा होती है। हालाँकि उनके पास उनके रब की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है
أَمْ لِلْإِنْسَانِ مَا تَمَنَّىٰ24
(क्या उनकी देवियाँ उन्हें लाभ पहुँचा सकती है) या मनुष्य वह कुछ पा लेगा, जिसकी वह कामना करता है?
فَلِلَّهِ الْآخِرَةُ وَالْأُولَىٰ25
आख़िरत और दुनिया का मालिक तो अल्लाह ही है
وَكَمْ مِنْ مَلَكٍ فِي السَّمَاوَاتِ لَا تُغْنِي شَفَاعَتُهُمْ شَيْئًا إِلَّا مِنْ بَعْدِ أَنْ يَأْذَنَ اللَّهُ لِمَنْ يَشَاءُ وَيَرْضَىٰ26
आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते है, उनकी सिफ़ारिश कुछ काम नहीं आएगी; यदि काम आ सकती है तो इसके पश्चात ही कि अल्लाह अनुमति दे, जिसे चाहे और पसन्द करे।
إِنَّ الَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِالْآخِرَةِ لَيُسَمُّونَ الْمَلَائِكَةَ تَسْمِيَةَ الْأُنْثَىٰ27
जो लोग आख़िरत को नहीं मानते, वे फ़रिश्तों के देवियों के नाम से अभिहित करते है,
وَمَا لَهُمْ بِهِ مِنْ عِلْمٍ ۖ إِنْ يَتَّبِعُونَ إِلَّا الظَّنَّ ۖ وَإِنَّ الظَّنَّ لَا يُغْنِي مِنَ الْحَقِّ شَيْئًا28
हालाँकि इस विषय में उन्हें कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अटकल के पीछे चलते है, हालाँकि सत्य से जो लाभ पहुँचता है वह अटकल से कदापि नहीं पहुँच सकता।
فَأَعْرِضْ عَنْ مَنْ تَوَلَّىٰ عَنْ ذِكْرِنَا وَلَمْ يُرِدْ إِلَّا الْحَيَاةَ الدُّنْيَا29
अतः तुम उसको ध्यान में न लाओ जो हमारे ज़िक्र से मुँह मोड़ता है और सांसारिक जीवन के सिवा उसने कुछ नहीं चाहा
ذَٰلِكَ مَبْلَغُهُمْ مِنَ الْعِلْمِ ۚ إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعْلَمُ بِمَنْ ضَلَّ عَنْ سَبِيلِهِ وَهُوَ أَعْلَمُ بِمَنِ اهْتَدَىٰ30
ऐसे लोगों के ज्ञान की पहुँच बस यहीं तक है। निश्चय ही तुम्हारा रब ही उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटक गया और वही उसे भी भली-भाँति जानता है जिसने सीधा मार्ग अपनाया
وَلِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ لِيَجْزِيَ الَّذِينَ أَسَاءُوا بِمَا عَمِلُوا وَيَجْزِيَ الَّذِينَ أَحْسَنُوا بِالْحُسْنَى31
अल्लाह ही का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है, ताकि जिन लोगों ने बुराई की वह उन्हें उनके किए का बदला दे। और जिन लोगों ने भलाई की उन्हें अच्छा बदला दे;
الَّذِينَ يَجْتَنِبُونَ كَبَائِرَ الْإِثْمِ وَالْفَوَاحِشَ إِلَّا اللَّمَمَ ۚ إِنَّ رَبَّكَ وَاسِعُ الْمَغْفِرَةِ ۚ هُوَ أَعْلَمُ بِكُمْ إِذْ أَنْشَأَكُمْ مِنَ الْأَرْضِ وَإِذْ أَنْتُمْ أَجِنَّةٌ فِي بُطُونِ أُمَّهَاتِكُمْ ۖ فَلَا تُزَكُّوا أَنْفُسَكُمْ ۖ هُوَ أَعْلَمُ بِمَنِ اتَّقَىٰ32
वे लोग जो बड़े गुनाहों और अश्लील कर्मों से बचते है, यह और बात है कि संयोगबश कोई छोटी बुराई उनसे हो जाए। निश्चय ही तुम्हारा रब क्षमाशीलता मे बड़ा व्यापक है। वह तुम्हें उस समय से भली-भाँति जानता है, जबकि उसने तुम्हें धरती से पैदा किया और जबकि तुम अपनी माँओ के पेटों में भ्रुण अवस्था में थे। अतः अपने मन की पवित्रता और निखार का दावा न करो। वह उस व्यक्ति को भली-भाँति जानता है, जिसने डर रखा
أَفَرَأَيْتَ الَّذِي تَوَلَّىٰ33
क्या तुमने उस व्यक्ति को देखा जिसने मुँह फेरा,
وَأَعْطَىٰ قَلِيلًا وَأَكْدَىٰ34
और थोड़ा-सा देकर रुक गया;
أَعِنْدَهُ عِلْمُ الْغَيْبِ فَهُوَ يَرَىٰ35
क्या उसके पास परोक्ष का ज्ञान है कि वह देख रहा है;
أَمْ لَمْ يُنَبَّأْ بِمَا فِي صُحُفِ مُوسَىٰ36
या उसको उन बातों की ख़बर नहीं पहुँची, जो मूसा की किताबों में है
وَإِبْرَاهِيمَ الَّذِي وَفَّىٰ37
और इबराहीम की (किताबों में है), जिसने अल्लाह की बन्दगी का) पूरा-पूरा हक़ अदा कर दिया?
أَلَّا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِزْرَ أُخْرَىٰ38
यह कि कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा;
وَأَنْ لَيْسَ لِلْإِنْسَانِ إِلَّا مَا سَعَىٰ39
और यह कि मनुष्य के लिए बस वही है जिसके लिए उसने प्रयास किया;
وَأَنَّ سَعْيَهُ سَوْفَ يُرَىٰ40
और यह कि उसका प्रयास शीघ्र ही देखा जाएगा।
ثُمَّ يُجْزَاهُ الْجَزَاءَ الْأَوْفَىٰ41
फिर उसे पूरा बदला दिया जाएगा;
وَأَنَّ إِلَىٰ رَبِّكَ الْمُنْتَهَىٰ42
और यह कि अन्त में पहुँचना तुम्हारे रब ही की ओर है;
وَأَنَّهُ هُوَ أَضْحَكَ وَأَبْكَىٰ43
और यह कि वही है जो हँसाता और रुलाता है;
وَأَنَّهُ هُوَ أَمَاتَ وَأَحْيَا44
और यह कि वही जो मारता और जिलाता है;
وَأَنَّهُ خَلَقَ الزَّوْجَيْنِ الذَّكَرَ وَالْأُنْثَىٰ45
और यह कि वही है जिसने नर और मादा के जोड़े पैदा किए,
مِنْ نُطْفَةٍ إِذَا تُمْنَىٰ46
एक बूँद से, जब वह टपकाई जाती है;
وَأَنَّ عَلَيْهِ النَّشْأَةَ الْأُخْرَىٰ47
और यह कि उसी के ज़िम्मे दोबारा उठाना भी है;
وَأَنَّهُ هُوَ أَغْنَىٰ وَأَقْنَىٰ48
और यह कि वही है जिसने धनी और पूँजीपति बनाया;
وَأَنَّهُ هُوَ رَبُّ الشِّعْرَىٰ49
और यह कि वही है जो शेअरा (नामक तारे) का रब है
وَأَنَّهُ أَهْلَكَ عَادًا الْأُولَىٰ50
और यह कि वही है उसी ने प्राचीन आद को विनष्ट किया;
وَثَمُودَ فَمَا أَبْقَىٰ51
और समूद को भी। फिर किसी को बाक़ी न छोड़ा।
وَقَوْمَ نُوحٍ مِنْ قَبْلُ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا هُمْ أَظْلَمَ وَأَطْغَىٰ52
और उससे पहले नूह की क़ौम को भी। बेशक वे ज़ालिम और सरकश थे
وَالْمُؤْتَفِكَةَ أَهْوَىٰ53
उलट जानेवाली बस्ती को भी फेंक दिया।
فَغَشَّاهَا مَا غَشَّىٰ54
तो ढँक लिया उसे जिस चीज़ ने ढँक लिया;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكَ تَتَمَارَىٰ55
फिर तू अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस के विषय में संदेह करेगा?
هَـٰذَا نَذِيرٌ مِنَ النُّذُرِ الْأُولَىٰ56
यह पहले के सावधान-कर्ताओं के सदृश एक सावधान करनेवाला है
أَزِفَتِ الْآزِفَةُ57
निकट आनेवाली (क़ियामत की घड़ी) निकट आ गई
لَيْسَ لَهَا مِنْ دُونِ اللَّهِ كَاشِفَةٌ58
अल्लाह के सिवा कोई नहीं जो उसे प्रकट कर दे
أَفَمِنْ هَـٰذَا الْحَدِيثِ تَعْجَبُونَ59
अब क्या तुम इस वाणी पर आश्चर्य करते हो;
وَتَضْحَكُونَ وَلَا تَبْكُونَ60
और हँसते हो और रोते नहीं?
وَأَنْتُمْ سَامِدُونَ61
जबकि तुम घमंडी और ग़ाफिल हो
فَاسْجُدُوا لِلَّهِ وَاعْبُدُوا ۩62
अतः अल्लाह को सजदा करो और बन्दगी करो
अल-क़मर
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
اقْتَرَبَتِ السَّاعَةُ وَانْشَقَّ الْقَمَرُ1
वह घड़ी निकट और लगी और चाँद फट गया;
وَإِنْ يَرَوْا آيَةً يُعْرِضُوا وَيَقُولُوا سِحْرٌ مُسْتَمِرٌّ2
किन्तु हाल यह है कि यदि वे कोई निशानी देख भी लें तो टाल जाएँगे और कहेंगे, "यह तो जादू है, पहले से चला आ रहा है!"
وَكَذَّبُوا وَاتَّبَعُوا أَهْوَاءَهُمْ ۚ وَكُلُّ أَمْرٍ مُسْتَقِرٌّ3
उन्होंने झुठलाया और अपनी इच्छाओं का अनुसरण किया; किन्तु हर मामले के लिए एक नियत अवधि है।
وَلَقَدْ جَاءَهُمْ مِنَ الْأَنْبَاءِ مَا فِيهِ مُزْدَجَرٌ4
उनके पास अतीत को ऐसी खबरें आ चुकी है, जिनमें ताड़ना अर्थात पूर्णतः तत्वदर्शीता है।
حِكْمَةٌ بَالِغَةٌ ۖ فَمَا تُغْنِ النُّذُرُ5
किन्तु चेतावनियाँ उनके कुछ काम नहीं आ रही है! -
فَتَوَلَّ عَنْهُمْ ۘ يَوْمَ يَدْعُ الدَّاعِ إِلَىٰ شَيْءٍ نُكُرٍ6
अतः उनसे रुख़ फेर लो - जिस दिन पुकारनेवाला एक अत्यन्त अप्रिय चीज़ की ओर पुकारेगा;
خُشَّعًا أَبْصَارُهُمْ يَخْرُجُونَ مِنَ الْأَجْدَاثِ كَأَنَّهُمْ جَرَادٌ مُنْتَشِرٌ7
वे अपनी झुकी हुई निगाहों के साथ अपनी क्रबों से निकल रहे होंगे, मानो वे बिखरी हुई टिड्डियाँ है;
مُهْطِعِينَ إِلَى الدَّاعِ ۖ يَقُولُ الْكَافِرُونَ هَـٰذَا يَوْمٌ عَسِرٌ8
दौड़ पड़ने को पुकारनेवाले की ओर। इनकार करनेवाले कहेंगे, "यह तो एक कठिन दिन है!"
كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ فَكَذَّبُوا عَبْدَنَا وَقَالُوا مَجْنُونٌ وَازْدُجِرَ9
उनसे पहले नूह की क़ौम ने भी झुठलाया। उन्होंने हमारे बन्दे को झूठा ठहराया और कहा, "यह तो दीवाना है!" और वह बुरी तरह झिड़का गया
فَدَعَا رَبَّهُ أَنِّي مَغْلُوبٌ فَانْتَصِرْ10
अन्त में उसने अपने रब को पुकारा कि "मैं दबा हुआ हूँ। अब तू बदला ले।"
فَفَتَحْنَا أَبْوَابَ السَّمَاءِ بِمَاءٍ مُنْهَمِرٍ11
तब हमने मूसलाधार बरसते हुए पानी से आकाश के द्वार खोल दिए;
وَفَجَّرْنَا الْأَرْضَ عُيُونًا فَالْتَقَى الْمَاءُ عَلَىٰ أَمْرٍ قَدْ قُدِرَ12
और धरती को प्रवाहित स्रोतों में परिवर्तित कर दिया, और सारा पानी उस काम के लिए मिल गया जो नियत हो चुका था
وَحَمَلْنَاهُ عَلَىٰ ذَاتِ أَلْوَاحٍ وَدُسُرٍ13
और हमने उसे एक तख़्तों और कीलोंवाली (नौका) पर सवार किया,
تَجْرِي بِأَعْيُنِنَا جَزَاءً لِمَنْ كَانَ كُفِرَ14
जो हमारी निगाहों के सामने चल रही थी - यह बदला था उस व्यक्ति के लिए जिसकी क़द्र नहीं की गई।
وَلَقَدْ تَرَكْنَاهَا آيَةً فَهَلْ مِنْ مُدَّكِرٍ15
हमने उसे एक निशानी बनाकर छोड़ दिया; फिर क्या कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ16
फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْآنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُدَّكِرٍ17
और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत करनेवाला?
كَذَّبَتْ عَادٌ فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ18
आद ने भी झुठलाया, फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरा डराना?
إِنَّا أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ رِيحًا صَرْصَرًا فِي يَوْمِ نَحْسٍ مُسْتَمِرٍّ19
निश्चय ही हमने एक निरन्तर अशुभ दिन में तेज़ प्रचंड ठंडी हवा भेजी, उसे उनपर मुसल्लत कर दिया, तो वह लोगों को उखाड़ फेंक रही थी
تَنْزِعُ النَّاسَ كَأَنَّهُمْ أَعْجَازُ نَخْلٍ مُنْقَعِرٍ20
मानो वे उखड़े खजूर के तने हो
فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ21
फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْآنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُدَّكِرٍ22
और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
كَذَّبَتْ ثَمُودُ بِالنُّذُرِ23
समूद ने चेतावनियों को झुठलाया;
فَقَالُوا أَبَشَرًا مِنَّا وَاحِدًا نَتَّبِعُهُ إِنَّا إِذًا لَفِي ضَلَالٍ وَسُعُرٍ24
और कहने लगे, "एक अकेला आदमी, जो हम ही में से है, क्या हम उसके पीछे चलेंगे? तब तो वास्तव में हम गुमराही और दीवानापन में पड़ गए!
أَأُلْقِيَ الذِّكْرُ عَلَيْهِ مِنْ بَيْنِنَا بَلْ هُوَ كَذَّابٌ أَشِرٌ25
"क्या हमारे बीच उसी पर अनुस्मृति उतारी है? नहीं, बल्कि वह तो परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है।"
سَيَعْلَمُونَ غَدًا مَنِ الْكَذَّابُ الْأَشِرُ26
"कल को ही वे जान लेंगे कि कौन परले दरजे का झूठा, बड़ा आत्मश्लाघी है।
إِنَّا مُرْسِلُو النَّاقَةِ فِتْنَةً لَهُمْ فَارْتَقِبْهُمْ وَاصْطَبِرْ27
हम ऊँटनी को उनके लिए परीक्षा के रूप में भेज रहे है। अतः तुम उन्हें देखते जाओ और धैर्य से काम लो
وَنَبِّئْهُمْ أَنَّ الْمَاءَ قِسْمَةٌ بَيْنَهُمْ ۖ كُلُّ شِرْبٍ مُحْتَضَرٌ28
"और उन्हें सूचित कर दो कि पानी उनके बीच बाँट दिया गया है। हर एक पीने की बारी पर बारीवाला उपस्थित होगा।"
فَنَادَوْا صَاحِبَهُمْ فَتَعَاطَىٰ فَعَقَرَ29
अन्ततः उन्होंने अपने साथी को पुकारा, तो उसने ज़िम्मा लिया फिर उसने उसकी कूचें काट दी
فَكَيْفَ كَانَ عَذَابِي وَنُذُرِ30
फिर कैसी रही मेरी यातना और मेरे डरावे?
إِنَّا أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ صَيْحَةً وَاحِدَةً فَكَانُوا كَهَشِيمِ الْمُحْتَظِرِ31
हमने उनपर एक धमाका छोड़ा, फिर वे बाड़ लगानेवाले की रौंदी हुई बाड़ की तरह चूरा होकर रह गए
وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْآنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُدَّكِرٍ32
हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ بِالنُّذُرِ33
लूत की क़ौम ने भी चेतावनियों को झुठलाया
إِنَّا أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ حَاصِبًا إِلَّا آلَ لُوطٍ ۖ نَجَّيْنَاهُمْ بِسَحَرٍ34
हमने लूत के घरवालों के सिवा उनपर पथराव करनेवाली तेज़ वायु भेजी।
نِعْمَةً مِنْ عِنْدِنَا ۚ كَذَٰلِكَ نَجْزِي مَنْ شَكَرَ35
हमने अपनी विशेष अनुकम्पा से प्रातःकाल उन्हें बचा लिया। हम इसी तरह उस व्यक्ति को बदला देते है जो कृतज्ञता दिखाए
وَلَقَدْ أَنْذَرَهُمْ بَطْشَتَنَا فَتَمَارَوْا بِالنُّذُرِ36
उसने जो उन्हें हमारी पकड़ से सावधान कर दिया था। किन्तु वे चेतावनियों के विषय में संदेह करते रहे
وَلَقَدْ رَاوَدُوهُ عَنْ ضَيْفِهِ فَطَمَسْنَا أَعْيُنَهُمْ فَذُوقُوا عَذَابِي وَنُذُرِ37
उन्होंने उसे फुसलाकर उसके पास से उसके अतिथियों को बलाना चाहा। अन्ततः हमने उसकी आँखें मेट दीं, "लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!"
وَلَقَدْ صَبَّحَهُمْ بُكْرَةً عَذَابٌ مُسْتَقِرٌّ38
सुबह सवेरे ही एक अटल यातना उनपर आ पहुँची,
فَذُوقُوا عَذَابِي وَنُذُرِ39
"लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!"
وَلَقَدْ يَسَّرْنَا الْقُرْآنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُدَّكِرٍ40
और हमने क़ुरआन को नसीहत के लिए अनुकूल और सहज बना दिया है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
وَلَقَدْ جَاءَ آلَ فِرْعَوْنَ النُّذُرُ41
और फ़िरऔनियों के पास चेतावनियाँ आई;
كَذَّبُوا بِآيَاتِنَا كُلِّهَا فَأَخَذْنَاهُمْ أَخْذَ عَزِيزٍ مُقْتَدِرٍ42
उन्होंने हमारी सारी निशानियों को झुठला दिया। अन्ततः हमने उन्हें पकड़ लिया, जिस प्रकार एक ज़बरदस्त प्रभुत्वशाली पकड़ता है
أَكُفَّارُكُمْ خَيْرٌ مِنْ أُولَـٰئِكُمْ أَمْ لَكُمْ بَرَاءَةٌ فِي الزُّبُرِ43
क्या तुम्हारे काफ़िर कुछ उन लोगो से अच्छे है या किताबों में तुम्हारे लिए कोई छुटकारा लिखा हुआ है?
أَمْ يَقُولُونَ نَحْنُ جَمِيعٌ مُنْتَصِرٌ44
या वे कहते है, "और हम मुक़ाबले की शक्ति रखनेवाले एक जत्था है?"
سَيُهْزَمُ الْجَمْعُ وَيُوَلُّونَ الدُّبُرَ45
शीघ्र ही वह जत्था पराजित होकर रहेगा और वे पीठ दिखा जाएँगे
بَلِ السَّاعَةُ مَوْعِدُهُمْ وَالسَّاعَةُ أَدْهَىٰ وَأَمَرُّ46
नहीं, बल्कि वह घड़ी है, जिसका समय उनके लिए नियत है और वह बड़ी आपदावाली और कटु घड़ी है!
إِنَّ الْمُجْرِمِينَ فِي ضَلَالٍ وَسُعُرٍ47
निस्संदेह, अपराधी लोग गुमराही और दीवानेपन में पड़े हुए है
يَوْمَ يُسْحَبُونَ فِي النَّارِ عَلَىٰ وُجُوهِهِمْ ذُوقُوا مَسَّ سَقَرَ48
जिस दिन वे अपने मुँह के बल आग में घसीटे जाएँगे, "चखो मज़ा आग की लपट का!"
إِنَّا كُلَّ شَيْءٍ خَلَقْنَاهُ بِقَدَرٍ49
निश्चय ही हमने हर चीज़ एक अंदाज़े के साथ पैदा की है
وَمَا أَمْرُنَا إِلَّا وَاحِدَةٌ كَلَمْحٍ بِالْبَصَرِ50
और हमारा आदेश (और काम) तो बस एक दम की बात होती है जैसे आँख का झपकना
وَلَقَدْ أَهْلَكْنَا أَشْيَاعَكُمْ فَهَلْ مِنْ مُدَّكِرٍ51
और हम तुम्हारे जैसे लोगों को विनष्ट कर चुके है। फिर क्या है कोई नसीहत हासिल करनेवाला?
وَكُلُّ شَيْءٍ فَعَلُوهُ فِي الزُّبُرِ52
जो कुछ उन्होंने किया है, वह पन्नों में अंकित है
وَكُلُّ صَغِيرٍ وَكَبِيرٍ مُسْتَطَرٌ53
और हर छोटी और बड़ी चीज़ लिखित है
إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي جَنَّاتٍ وَنَهَرٍ54
निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ो और नहरों के बीच होंगे,
فِي مَقْعَدِ صِدْقٍ عِنْدَ مَلِيكٍ مُقْتَدِرٍ55
प्रतिष्ठित स्थान पर, प्रभुत्वशाली सम्राट के निकट
अर-रहमान
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
الرَّحْمَـٰنُ1
रहमान ने
عَلَّمَ الْقُرْآنَ2
क़ुरआन सिखाया;
خَلَقَ الْإِنْسَانَ3
उसी ने मनुष्य को पैदा किया;
عَلَّمَهُ الْبَيَانَ4
उसे बोलना सिखाया;
الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ بِحُسْبَانٍ5
सूर्य और चन्द्रमा एक हिसाब के पाबन्द है;
وَالنَّجْمُ وَالشَّجَرُ يَسْجُدَانِ6
और तारे और वृक्ष सजदा करते है;
وَالسَّمَاءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ الْمِيزَانَ7
उसने आकाश को ऊँचा किया और संतुलन स्थापित किया -
أَلَّا تَطْغَوْا فِي الْمِيزَانِ8
कि तुम भी तुला में सीमा का उल्लंघन न करो
وَأَقِيمُوا الْوَزْنَ بِالْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا الْمِيزَانَ9
न्याय के साथ ठीक-ठीक तौलो और तौल में कमी न करो। -
وَالْأَرْضَ وَضَعَهَا لِلْأَنَامِ10
और धरती को उसने सृष्टल प्राणियों के लिए बनाया;
فِيهَا فَاكِهَةٌ وَالنَّخْلُ ذَاتُ الْأَكْمَامِ11
उसमें स्वादिष्ट फल है और खजूर के वृक्ष है, जिनके फल आवरणों में लिपटे हुए है,
وَالْحَبُّ ذُو الْعَصْفِ وَالرَّيْحَانُ12
और भुसवाले अनाज भी और सुगंधित बेल-बूटा भी
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ13
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
خَلَقَ الْإِنْسَانَ مِنْ صَلْصَالٍ كَالْفَخَّارِ14
उसने मनुष्य को ठीकरी जैसी खनखनाती हुए मिट्टी से पैदा किया;
وَخَلَقَ الْجَانَّ مِنْ مَارِجٍ مِنْ نَارٍ15
और जिन्न को उसने आग की लपट से पैदा किया
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ16
फिर तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
رَبُّ الْمَشْرِقَيْنِ وَرَبُّ الْمَغْرِبَيْنِ17
वह दो पूर्व का रब है और दो पश्चिम का रब भी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ18
फिर तुम दोनों अपने रब की महानताओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ19
उसने दो समुद्रो को प्रवाहित कर दिया, जो आपस में मिल रहे होते है।
بَيْنَهُمَا بَرْزَخٌ لَا يَبْغِيَانِ20
उन दोनों के बीच एक परदा बाधक होता है, जिसका वे अतिक्रमण नहीं करते
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ21
तो तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَخْرُجُ مِنْهُمَا اللُّؤْلُؤُ وَالْمَرْجَانُ22
उन (समुद्रों) से मोती और मूँगा निकलता है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ23
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَلَهُ الْجَوَارِ الْمُنْشَآتُ فِي الْبَحْرِ كَالْأَعْلَامِ24
उसी के बस में है समुद्र में पहाड़ो की तरह उठे हुए जहाज़
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ25
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओग?
كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍ26
प्रत्येक जो भी इस (धरती) पर है, नाशवान है
وَيَبْقَىٰ وَجْهُ رَبِّكَ ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ27
किन्तु तुम्हारे रब का प्रतापवान और उदार स्वरूप शेष रहनेवाला है
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ28
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगं?
يَسْأَلُهُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِي شَأْنٍ29
आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी नित्य नई शान है
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ30
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
سَنَفْرُغُ لَكُمْ أَيُّهَ الثَّقَلَانِ31
ऐ दोनों बोझों! शीघ्र ही हम तुम्हारे लिए निवृत हुए जाते है
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ32
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَا مَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْإِنْسِ إِنِ اسْتَطَعْتُمْ أَنْ تَنْفُذُوا مِنْ أَقْطَارِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ فَانْفُذُوا ۚ لَا تَنْفُذُونَ إِلَّا بِسُلْطَانٍ33
ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! यदि तुममें हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते बिना अधिकार-शक्ति के
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ34
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يُرْسَلُ عَلَيْكُمَا شُوَاظٌ مِنْ نَارٍ وَنُحَاسٌ فَلَا تَنْتَصِرَانِ35
अतः तुम दोनों पर अग्नि-ज्वाला और धुएँवाला अंगारा (पिघला ताँबा) छोड़ दिया जाएगा, फिर तुम मुक़ाबला न कर सकोगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ36
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَإِذَا انْشَقَّتِ السَّمَاءُ فَكَانَتْ وَرْدَةً كَالدِّهَانِ37
फिर जब आकाश फट जाएगा और लाल चमड़े की तरह लाल हो जाएगा।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ38
- अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَيَوْمَئِذٍ لَا يُسْأَلُ عَنْ ذَنْبِهِ إِنْسٌ وَلَا جَانٌّ39
फिर उस दिन न किसी मनुष्य से उसके गुनाह के विषय में पूछा जाएगा न किसी जिन्न से
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ40
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يُعْرَفُ الْمُجْرِمُونَ بِسِيمَاهُمْ فَيُؤْخَذُ بِالنَّوَاصِي وَالْأَقْدَامِ41
अपराधी अपने चहरों से पहचान लिए जाएँगे और उनके माथे के बालों और टाँगों द्वारा पकड़ लिया जाएगा
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ42
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
هَـٰذِهِ جَهَنَّمُ الَّتِي يُكَذِّبُ بِهَا الْمُجْرِمُونَ43
यही वह जहन्नम है जिसे अपराधी लोग झूठ ठहराते रहे है
يَطُوفُونَ بَيْنَهَا وَبَيْنَ حَمِيمٍ آنٍ44
वे उनके और खौलते हुए पानी के बीच चक्कर लगा रहें होंगे
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ45
फिर तुम दोनों अपने रब के सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَلِمَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ جَنَّتَانِ46
किन्तु जो अपने रब के सामने खड़े होने का डर रखता होगा, उसके लिए दो बाग़ है। -
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ47
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
ذَوَاتَا أَفْنَانٍ48
घनी डालियोंवाले;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ49
अतः तुम दोनों अपने रब के उपकारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا عَيْنَانِ تَجْرِيَانِ50
उन दोनो (बाग़ो) में दो प्रवाहित स्रोत है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ51
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا مِنْ كُلِّ فَاكِهَةٍ زَوْجَانِ52
उन दोनों (बाग़ो) मे हर स्वादिष्ट फल की दो-दो किस्में हैं;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ53
अतः तुम दोनो रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ فُرُشٍ بَطَائِنُهَا مِنْ إِسْتَبْرَقٍ ۚ وَجَنَى الْجَنَّتَيْنِ دَانٍ54
वे ऐसे बिछौनो पर तकिया लगाए हुए होंगे जिनके अस्तर गाढे रेशम के होंगे, और दोनों बाग़ो के फल झुके हुए निकट ही होंगे।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ55
अतः तुम अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِنَّ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنْسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ56
उन (अनुकम्पाओं) में निगाह बचाए रखनेवाली (सुन्दर) स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें उनसे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया और न किसी जिन्न ने
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ57
फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
كَأَنَّهُنَّ الْيَاقُوتُ وَالْمَرْجَانُ58
मानो वे लाल (याकूत) और प्रवाल (मूँगा) है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ59
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
هَلْ جَزَاءُ الْإِحْسَانِ إِلَّا الْإِحْسَانُ60
अच्छाई का बदला अच्छाई के सिवा और क्या हो सकता है?
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ61
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَمِنْ دُونِهِمَا جَنَّتَانِ62
उन दोनों से हटकर दो और बाग़ है।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ63
फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مُدْهَامَّتَانِ64
गहरे हरित;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ65
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا عَيْنَانِ نَضَّاخَتَانِ66
उन दोनों (बाग़ो) में दो स्रोत है जोश मारते हुए
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ67
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا فَاكِهَةٌ وَنَخْلٌ وَرُمَّانٌ68
उनमें है स्वादिष्ट फल और खजूर और अनार;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ69
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِنَّ خَيْرَاتٌ حِسَانٌ70
उनमें भली और सुन्दर स्त्रियाँ होंगी।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ71
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
حُورٌ مَقْصُورَاتٌ فِي الْخِيَامِ72
हूरें (परम रूपवती स्त्रियाँ) ख़ेमों में रहनेवाली;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ73
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنْسٌ قَبْلَهُمْ وَلَا جَانٌّ74
जिन्हें उससे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया होगा और न किसी जिन्न ने।
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ75
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مُتَّكِئِينَ عَلَىٰ رَفْرَفٍ خُضْرٍ وَعَبْقَرِيٍّ حِسَانٍ76
वे हरे रेशमी गद्दो और उत्कृष्ट् और असाधारण क़ालीनों पर तकिया लगाए होंगे;
فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ77
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
تَبَارَكَ اسْمُ رَبِّكَ ذِي الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ78
बड़ा ही बरकतवाला नाम है तुम्हारे प्रतापवान और उदार रब का
अल-वाकिया
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
إِذَا وَقَعَتِ الْوَاقِعَةُ1
जब घटित होनेवाली (घड़ी) घटित हो जाएगी;
لَيْسَ لِوَقْعَتِهَا كَاذِبَةٌ2
उसके घटित होने में कुछ भी झुठ नहीं;
خَافِضَةٌ رَافِعَةٌ3
पस्त करनेवाली होगी, ऊँचा करनेवाली थी;
إِذَا رُجَّتِ الْأَرْضُ رَجًّا4
जब धरती थरथराकर काँप उठेगी;
وَبُسَّتِ الْجِبَالُ بَسًّا5
और पहाड़ टूटकर चूर्ण-विचुर्ण हो जाएँगे
فَكَانَتْ هَبَاءً مُنْبَثًّا6
कि वे बिखरे हुए धूल होकर रह जाएँगे
وَكُنْتُمْ أَزْوَاجًا ثَلَاثَةً7
और तुम लोग तीन प्रकार के हो जाओगे -
فَأَصْحَابُ الْمَيْمَنَةِ مَا أَصْحَابُ الْمَيْمَنَةِ8
तो दाहिने हाथ वाले (सौभाग्यशाली), कैसे होंगे दाहिने हाथ वाले!
وَأَصْحَابُ الْمَشْأَمَةِ مَا أَصْحَابُ الْمَشْأَمَةِ9
और बाएँ हाथ वाले (दुर्भाग्यशाली), कैसे होंगे बाएँ हाथ वाले!
وَالسَّابِقُونَ السَّابِقُونَ10
और आगे बढ़ जानेवाले तो आगे बढ़ जानेवाले ही है
أُولَـٰئِكَ الْمُقَرَّبُونَ11
वही (अल्लाह के) निकटवर्ती है;
فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ12
नेमत भरी जन्नतों में होंगे;
ثُلَّةٌ مِنَ الْأَوَّلِينَ13
अगलों में से तो बहुत-से होंगे,
وَقَلِيلٌ مِنَ الْآخِرِينَ14
किन्तु पिछलों में से कम ही
عَلَىٰ سُرُرٍ مَوْضُونَةٍ15
जड़ित तख़्तो पर;
مُتَّكِئِينَ عَلَيْهَا مُتَقَابِلِينَ16
तकिया लगाए आमने-सामने होंगे;
يَطُوفُ عَلَيْهِمْ وِلْدَانٌ مُخَلَّدُونَ17
उनके पास किशोर होंगे जो सदैव किशोरावस्था ही में रहेंगे,
بِأَكْوَابٍ وَأَبَارِيقَ وَكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ18
प्याले और आफ़ताबे (जग) और विशुद्ध पेय से भरा हुआ पात्र लिए फिर रहे होंगे
لَا يُصَدَّعُونَ عَنْهَا وَلَا يُنْزِفُونَ19
- जिस (के पीने) से न तो उन्हें सिर दर्द होगा और न उनकी बुद्धि में विकार आएगा
وَفَاكِهَةٍ مِمَّا يَتَخَيَّرُونَ20
और स्वादिष्ट॥ फल जो वे पसन्द करें;
وَلَحْمِ طَيْرٍ مِمَّا يَشْتَهُونَ21
और पक्षी का मांस जो वे चाह;
وَحُورٌ عِينٌ22
और बड़ी आँखोंवाली हूरें,
كَأَمْثَالِ اللُّؤْلُؤِ الْمَكْنُونِ23
मानो छिपाए हुए मोती हो
جَزَاءً بِمَا كَانُوا يَعْمَلُونَ24
यह सब उसके बदले में उन्हें प्राप्त होगा जो कुछ वे करते रहे
لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا وَلَا تَأْثِيمًا25
उसमें वे न कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न गुनाह की बात;
إِلَّا قِيلًا سَلَامًا سَلَامًا26
सिवाय इस बात के कि "सलाम हो, सलाम हो!"
وَأَصْحَابُ الْيَمِينِ مَا أَصْحَابُ الْيَمِينِ27
रहे सौभाग्यशाली लोग, तो सौभाग्यशालियों का क्या कहना!
فِي سِدْرٍ مَخْضُودٍ28
वे वहाँ होंगे जहाँ बिन काँटों के बेर होंगे;
وَطَلْحٍ مَنْضُودٍ29
और गुच्छेदार केले;
وَظِلٍّ مَمْدُودٍ30
दूर तक फैली हुई छाँव;
وَمَاءٍ مَسْكُوبٍ31
बहता हुआ पानी;
وَفَاكِهَةٍ كَثِيرَةٍ32
बहुत-सा स्वादिष्ट; फल,
لَا مَقْطُوعَةٍ وَلَا مَمْنُوعَةٍ33
जिसका सिलसिला टूटनेवाला न होगा और न उसपर कोई रोक-टोक होगी
وَفُرُشٍ مَرْفُوعَةٍ34
उच्चकोटि के बिछौने होंगे;
إِنَّا أَنْشَأْنَاهُنَّ إِنْشَاءً35
(और वहाँ उनकी पत्नियों को) निश्चय ही हमने एक विशेष उठान पर उठान पर उठाया
فَجَعَلْنَاهُنَّ أَبْكَارًا36
और हमने उन्हे कुँवारियाँ बनाया;
عُرُبًا أَتْرَابًا37
प्रेम दर्शानेवाली और समायु;
لِأَصْحَابِ الْيَمِينِ38
सौभाग्यशाली लोगों के लिए;
ثُلَّةٌ مِنَ الْأَوَّلِينَ39
वे अगलों में से भी अधिक होगे
وَثُلَّةٌ مِنَ الْآخِرِينَ40
और पिछलों में से भी अधिक होंगे
وَأَصْحَابُ الشِّمَالِ مَا أَصْحَابُ الشِّمَالِ41
रहे दुर्भाग्यशाली लोग, तो कैसे होंगे दुर्भाग्यशाली लोग!
فِي سَمُومٍ وَحَمِيمٍ42
गर्म हवा और खौलते हुए पानी में होंगे;
وَظِلٍّ مِنْ يَحْمُومٍ43
और काले धुएँ की छाँव में,
لَا بَارِدٍ وَلَا كَرِيمٍ44
जो न ठंडी होगी और न उत्तम और लाभप्रद
إِنَّهُمْ كَانُوا قَبْلَ ذَٰلِكَ مُتْرَفِينَ45
वे इससे पहले सुख-सम्पन्न थे;
وَكَانُوا يُصِرُّونَ عَلَى الْحِنْثِ الْعَظِيمِ46
और बड़े गुनाह पर अड़े रहते थे
وَكَانُوا يَقُولُونَ أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ47
कहते थे, "क्या जब हम मर जाएँगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रहे जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में उठाए जाएँगे?
أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ48
"और क्या हमारे पहले के बाप-दादा भी?"
قُلْ إِنَّ الْأَوَّلِينَ وَالْآخِرِينَ49
कह दो, "निश्चय ही अगले और पिछले भी
لَمَجْمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَاتِ يَوْمٍ مَعْلُومٍ50
एक नियत समय पर इकट्ठे कर दिए जाएँगे, जिसका दिन ज्ञात और नियत है
ثُمَّ إِنَّكُمْ أَيُّهَا الضَّالُّونَ الْمُكَذِّبُونَ51
"फिर तुम ऐ गुमराहो, झुठलानेवालो!
لَآكِلُونَ مِنْ شَجَرٍ مِنْ زَقُّومٍ52
ज़क्कूम के वृक्ष में से खाओंगे;
فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ53
"और उसी से पेट भरोगे;
فَشَارِبُونَ عَلَيْهِ مِنَ الْحَمِيمِ54
"और उसके ऊपर से खौलता हुआ पानी पीओगे;
فَشَارِبُونَ شُرْبَ الْهِيمِ55
"और तौस लगे ऊँट की तरह पीओगे।"
هَـٰذَا نُزُلُهُمْ يَوْمَ الدِّينِ56
यह बदला दिए जाने के दिन उनका पहला सत्कार होगा
نَحْنُ خَلَقْنَاكُمْ فَلَوْلَا تُصَدِّقُونَ57
हमने तुम्हें पैदा किया; फिर तुम सच क्यों नहीं मानते?
أَفَرَأَيْتُمْ مَا تُمْنُونَ58
तो क्या तुमने विचार किया जो चीज़ तुम टपकाते हो?
أَأَنْتُمْ تَخْلُقُونَهُ أَمْ نَحْنُ الْخَالِقُونَ59
क्या तुम उसे आकार देते हो, या हम है आकार देनेवाले?
نَحْنُ قَدَّرْنَا بَيْنَكُمُ الْمَوْتَ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوقِينَ60
हमने तुम्हारे बीच मृत्यु को नियत किया है और हमारे बस से यह बाहर नहीं है
عَلَىٰ أَنْ نُبَدِّلَ أَمْثَالَكُمْ وَنُنْشِئَكُمْ فِي مَا لَا تَعْلَمُونَ61
कि हम तुम्हारे जैसों को बदल दें और तुम्हें ऐसी हालत में उठा खड़ा करें जिसे तुम जानते नहीं
وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ النَّشْأَةَ الْأُولَىٰ فَلَوْلَا تَذَكَّرُونَ62
तुम तो पहली पैदाइश को जान चुके हो, फिर तुम ध्यान क्यों नहीं देते?
أَفَرَأَيْتُمْ مَا تَحْرُثُونَ63
फिर क्या तुमने देखा तो कुछ तुम खेती करते हो?
أَأَنْتُمْ تَزْرَعُونَهُ أَمْ نَحْنُ الزَّارِعُونَ64
क्या उसे तुम उगाते हो या हम उसे उगाते है?
لَوْ نَشَاءُ لَجَعَلْنَاهُ حُطَامًا فَظَلْتُمْ تَفَكَّهُونَ65
यदि हम चाहें तो उसे चूर-चूर कर दें। फिर तुम बातें बनाते रह जाओ
إِنَّا لَمُغْرَمُونَ66
कि "हमपर उलटा डाँड पड़ गया,
بَلْ نَحْنُ مَحْرُومُونَ67
बल्कि हम वंचित होकर रह गए!"
أَفَرَأَيْتُمُ الْمَاءَ الَّذِي تَشْرَبُونَ68
फिर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो?
أَأَنْتُمْ أَنْزَلْتُمُوهُ مِنَ الْمُزْنِ أَمْ نَحْنُ الْمُنْزِلُونَ69
क्या उसे बादलों से तुमने पानी बरसाया या बरसानेवाले हम है?
لَوْ نَشَاءُ جَعَلْنَاهُ أُجَاجًا فَلَوْلَا تَشْكُرُونَ70
यदि हम चाहें तो उसे अत्यन्त खारा बनाकर रख दें। फिर तुम कृतज्ञता क्यों नहीं दिखाते?
أَفَرَأَيْتُمُ النَّارَ الَّتِي تُورُونَ71
फिर क्या तुमने उस आग को देखा जिसे तुम सुलगाते हो?
أَأَنْتُمْ أَنْشَأْتُمْ شَجَرَتَهَا أَمْ نَحْنُ الْمُنْشِئُونَ72
क्या तुमने उसके वृक्ष को पैदा किया है या पैदा करनेवाले हम है?
نَحْنُ جَعَلْنَاهَا تَذْكِرَةً وَمَتَاعًا لِلْمُقْوِينَ73
हमने उसे एक अनुस्मृति और मरुभुमि के मुसाफ़िरों और ज़रूरतमन्दों के लिए लाभप्रद बनाया
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ74
अतः तुम अपने महान रब के नाम की तसबीह करो
فَلَا أُقْسِمُ بِمَوَاقِعِ النُّجُومِ75
अतः नहीं! मैं क़समों खाता हूँ सितारों की स्थितियों की -
وَإِنَّهُ لَقَسَمٌ لَوْ تَعْلَمُونَ عَظِيمٌ76
और यह बहुत बड़ी गवाही है, यदि तुम जानो -
إِنَّهُ لَقُرْآنٌ كَرِيمٌ77
निश्चय ही यह प्रतिष्ठित क़ुरआन है
فِي كِتَابٍ مَكْنُونٍ78
एक सुरक्षित किताब में अंकित है।
لَا يَمَسُّهُ إِلَّا الْمُطَهَّرُونَ79
उसे केवल पाक-साफ़ व्यक्ति ही हाथ लगाते है
تَنْزِيلٌ مِنْ رَبِّ الْعَالَمِينَ80
उसका अवतरण सारे संसार के रब की ओर से है।
أَفَبِهَـٰذَا الْحَدِيثِ أَنْتُمْ مُدْهِنُونَ81
फिर क्या तुम उस वाणी के प्रति उपेक्षा दर्शाते हो?
وَتَجْعَلُونَ رِزْقَكُمْ أَنَّكُمْ تُكَذِّبُونَ82
और तुम इसको अपनी वृत्ति बना रहे हो कि झुठलाते हो?
فَلَوْلَا إِذَا بَلَغَتِ الْحُلْقُومَ83
फिर ऐसा क्यों नहीं होता, जबकि प्राण कंठ को आ लगते है
وَأَنْتُمْ حِينَئِذٍ تَنْظُرُونَ84
और उस समय तुम देख रहे होते हो -
وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنْكُمْ وَلَـٰكِنْ لَا تُبْصِرُونَ85
और हम तुम्हारी अपेक्षा उससे अधिक निकट होते है। किन्तु तुम देखते नहीं –
فَلَوْلَا إِنْ كُنْتُمْ غَيْرَ مَدِينِينَ86
फिर ऐसा क्यों नहीं होता कि यदि तुम अधीन नहीं हो
تَرْجِعُونَهَا إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ87
तो उसे (प्राण को) लौटा दो, यदि तुम सच्चे हो
فَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنَ الْمُقَرَّبِينَ88
फिर यदि वह (अल्लाह के) निकटवर्तियों में से है;
فَرَوْحٌ وَرَيْحَانٌ وَجَنَّتُ نَعِيمٍ89
तो (उसके लिए) आराम, सुख-सामग्री और सुगंध है, और नेमतवाला बाग़ है
وَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنْ أَصْحَابِ الْيَمِينِ90
और यदि वह भाग्यशालियों में से है,
فَسَلَامٌ لَكَ مِنْ أَصْحَابِ الْيَمِينِ91
तो "सलाम है तुम्हें कि तुम सौभाग्यशाली में से हो।"
وَأَمَّا إِنْ كَانَ مِنَ الْمُكَذِّبِينَ الضَّالِّينَ92
किन्तु यदि वह झुठलानेवालों, गुमराहों में से है;
فَنُزُلٌ مِنْ حَمِيمٍ93
तो उसका पहला सत्कार खौलते हुए पानी से होगा
وَتَصْلِيَةُ جَحِيمٍ94
फिर भड़कती हुई आग में उन्हें झोंका जाना है
إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ حَقُّ الْيَقِينِ95
निस्संदेह यही विश्वसनीय सत्य है
فَسَبِّحْ بِاسْمِ رَبِّكَ الْعَظِيمِ96
अतः तुम अपने महान रब की तसबीह करो
अल-हदीद
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيمُ1
अल्लाह की तसबीह की हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है। वही प्रभुत्वशाली, तत्वशाली है
لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۖ يُحْيِي وَيُمِيتُ ۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ2
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है। वही जीवन प्रदान करता है और मृत्यु देता है, और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है
هُوَ الْأَوَّلُ وَالْآخِرُ وَالظَّاهِرُ وَالْبَاطِنُ ۖ وَهُوَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ3
वही आदि है और अन्त भी और वही व्यक्त है और अव्यक्त भी। और वह हर चीज़ को जानता है
هُوَ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَىٰ عَلَى الْعَرْشِ ۚ يَعْلَمُ مَا يَلِجُ فِي الْأَرْضِ وَمَا يَخْرُجُ مِنْهَا وَمَا يَنْزِلُ مِنَ السَّمَاءِ وَمَا يَعْرُجُ فِيهَا ۖ وَهُوَ مَعَكُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ ۚ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ4
वही है जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया; फिर सिंहासन पर विराजमान हुआ। वह जानता है जो कुछ धरती में प्रवेश करता है और जो कुछ उससे निकलता है और जो कुछ आकाश से उतरता है और जो कुछ उसमें चढ़ता है। और तुम जहाँ कहीं भी हो, वह तुम्हारे साथ है। और अल्लाह देखता है जो कुछ तुम करते हो
لَهُ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ وَإِلَى اللَّهِ تُرْجَعُ الْأُمُورُ5
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है और अल्लाह ही की है ओर सारे मामले पलटते है
يُولِجُ اللَّيْلَ فِي النَّهَارِ وَيُولِجُ النَّهَارَ فِي اللَّيْلِ ۚ وَهُوَ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ6
वह रात को दिन में प्रविष्ट कराता है और दिन को रात में प्रविष्ट कराता है। वह सीनों में छिपी बात तक को जानता है
آمِنُوا بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ وَأَنْفِقُوا مِمَّا جَعَلَكُمْ مُسْتَخْلَفِينَ فِيهِ ۖ فَالَّذِينَ آمَنُوا مِنْكُمْ وَأَنْفَقُوا لَهُمْ أَجْرٌ كَبِيرٌ7
ईमान लाओ अल्लाह और उसके रसूल पर और उसमें से ख़र्च करो जिसका उसने तु्म्हें अधिकारी बनाया है। तो तुममें से जो लोग ईमान लाए और उन्होंने ख़र्च किया, उसने लिए बड़ा प्रतिदान है
وَمَا لَكُمْ لَا تُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ ۙ وَالرَّسُولُ يَدْعُوكُمْ لِتُؤْمِنُوا بِرَبِّكُمْ وَقَدْ أَخَذَ مِيثَاقَكُمْ إِنْ كُنْتُمْ مُؤْمِنِينَ8
तुम्हें क्या हो गया है कि तुम अल्लाह पर ईमान नहीं लाते; जबकि रसूल तुम्हें निमंत्रण दे रहा है कि तुम अपने रब पर ईमान लाओ और वह तुमसे दृढ़ वचन भी ले चुका है, यदि तुम मोमिन हो
هُوَ الَّذِي يُنَزِّلُ عَلَىٰ عَبْدِهِ آيَاتٍ بَيِّنَاتٍ لِيُخْرِجَكُمْ مِنَ الظُّلُمَاتِ إِلَى النُّورِ ۚ وَإِنَّ اللَّهَ بِكُمْ لَرَءُوفٌ رَحِيمٌ9
वही है जो अपने बन्दों पर स्पष्ट आयतें उतार रहा है, ताकि वह तुम्हें अंधकारों से प्रकाश की ओर ले आए। और वास्तविकता यह है कि अल्लाह तुमपर अत्यन्त करुणामय, दयावान है
وَمَا لَكُمْ أَلَّا تُنْفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ وَلِلَّهِ مِيرَاثُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۚ لَا يَسْتَوِي مِنْكُمْ مَنْ أَنْفَقَ مِنْ قَبْلِ الْفَتْحِ وَقَاتَلَ ۚ أُولَـٰئِكَ أَعْظَمُ دَرَجَةً مِنَ الَّذِينَ أَنْفَقُوا مِنْ بَعْدُ وَقَاتَلُوا ۚ وَكُلًّا وَعَدَ اللَّهُ الْحُسْنَىٰ ۚ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ10
और तुम्हें क्यो हुआ है कि तुम अल्लाह के मार्ग में ख़र्च न करो, हालाँकि आकाशों और धरती की विरासत अल्लाह ही के लिए है? तुममें से जिन लोगों ने विजय से पूर्व ख़र्च किया और लड़े वे परस्पर एक-दूसरे के समान नहीं है। वे तो दरजे में उनसे बढ़कर है जिन्होंने बाद में ख़र्च किया और लड़े। यद्यपि अल्लाह ने प्रत्येक से अच्छा वादा किया है। अल्लाह उसकी ख़बर रखता है, जो कुछ तुम करते हो
مَنْ ذَا الَّذِي يُقْرِضُ اللَّهَ قَرْضًا حَسَنًا فَيُضَاعِفَهُ لَهُ وَلَهُ أَجْرٌ كَرِيمٌ11
कौन है जो अल्लाह को ऋण दे, अच्छा ऋण कि वह उसे उसके लिए कई गुना कर दे। और उसके लिए सम्मानित प्रतिदान है
يَوْمَ تَرَى الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ يَسْعَىٰ نُورُهُمْ بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَبِأَيْمَانِهِمْ بُشْرَاكُمُ الْيَوْمَ جَنَّاتٌ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا ۚ ذَٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ12
जिस दिन तुम मोमिन पुरुषों और मोमिन स्त्रियों को देखोगे कि उनका प्रकाश उनके आगे-आगे दौड़ रहा है और उनके दाएँ हाथ में है। (कहा जाएगा,) "आज शुभ सूचना है तुम्हारे लिए ऐसी जन्नतों की जिनके नीचे नहरें बह रही है, जिनमें सदैव रहना है। वही बड़ी सफलता है।"
يَوْمَ يَقُولُ الْمُنَافِقُونَ وَالْمُنَافِقَاتُ لِلَّذِينَ آمَنُوا انْظُرُونَا نَقْتَبِسْ مِنْ نُورِكُمْ قِيلَ ارْجِعُوا وَرَاءَكُمْ فَالْتَمِسُوا نُورًا فَضُرِبَ بَيْنَهُمْ بِسُورٍ لَهُ بَابٌ بَاطِنُهُ فِيهِ الرَّحْمَةُ وَظَاهِرُهُ مِنْ قِبَلِهِ الْعَذَابُ13
जिस दिन कपटाचारी पुरुष और कपटाचारी स्त्रियाँ मोमिनों से कहेंगी, "तनिक हमारी प्रतिक्षा करो। हम भी तुम्हारे प्रकाश मे से कुछ प्रकाश ले लें!" कहा जाएगा, "अपने पीछे लौट जाओ। फिर प्रकाश तलाश करो!" इतने में उनके बीच एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी, जिसमें एक द्वार होगा। उसके भीतर का हाल यह होगा कि उसमें दयालुता होगी और उसके बाहर का यह कि उस ओर से यातना होगी
يُنَادُونَهُمْ أَلَمْ نَكُنْ مَعَكُمْ ۖ قَالُوا بَلَىٰ وَلَـٰكِنَّكُمْ فَتَنْتُمْ أَنْفُسَكُمْ وَتَرَبَّصْتُمْ وَارْتَبْتُمْ وَغَرَّتْكُمُ الْأَمَانِيُّ حَتَّىٰ جَاءَ أَمْرُ اللَّهِ وَغَرَّكُمْ بِاللَّهِ الْغَرُورُ14
वे उन्हें पुकारकर कहेंगे, "क्या हम तुम्हारे साथी नहीं थे?" वे कहेंगे, "क्यों नहीं? किन्तु तुमने तो अपने आपको फ़ितने (गुमराही) में डाला और प्रतीक्षा करते रहे और सन्देह में पड़े रहे और कामनाओं ने तुम्हें धोखे में डाले रखा है
فَالْيَوْمَ لَا يُؤْخَذُ مِنْكُمْ فِدْيَةٌ وَلَا مِنَ الَّذِينَ كَفَرُوا ۚ مَأْوَاكُمُ النَّارُ ۖ هِيَ مَوْلَاكُمْ ۖ وَبِئْسَ الْمَصِيرُ15
"अब आज न तुमसे कोई फ़िदया (मुक्ति-प्रतिदान) लिया जाएगा और न उन लोगों से जिन्होंने इनकार किया। तुम्हारा ठिकाना आग है, और वही तुम्हारी संरक्षिका है। और बहुत ही बुरी जगह है अन्त में पहुँचने की!"
أَلَمْ يَأْنِ لِلَّذِينَ آمَنُوا أَنْ تَخْشَعَ قُلُوبُهُمْ لِذِكْرِ اللَّهِ وَمَا نَزَلَ مِنَ الْحَقِّ وَلَا يَكُونُوا كَالَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ مِنْ قَبْلُ فَطَالَ عَلَيْهِمُ الْأَمَدُ فَقَسَتْ قُلُوبُهُمْ ۖ وَكَثِيرٌ مِنْهُمْ فَاسِقُونَ16
क्या उन लोगों के लिए, जो ईमान लाए, अभी वह समय नहीं आया कि उनके दिल अल्लाह की याद के लिए और जो सत्य अवतरित हुआ है उसके आगे झुक जाएँ? और वे उन लोगों की तरह न हो जाएँ, जिन्हें किताब दी गई थी, फिर उनपर दीर्ध समय बीत गया। अन्ततः उनके दिल कठोर हो गए और उनमें से अधिकांश अवज्ञाकारी रहे
اعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ يُحْيِي الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ۚ قَدْ بَيَّنَّا لَكُمُ الْآيَاتِ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ17
जान लो, अल्लाह धरती को उसकी मृत्यु के पश्चात जीवन प्रदान करता है। हमने तुम्हारे लिए आयतें खोल-खोलकर बयान कर दी है, ताकि तुम बुद्धि से काम लो
إِنَّ الْمُصَّدِّقِينَ وَالْمُصَّدِّقَاتِ وَأَقْرَضُوا اللَّهَ قَرْضًا حَسَنًا يُضَاعَفُ لَهُمْ وَلَهُمْ أَجْرٌ كَرِيمٌ18
निश्चय ही जो सदका देनेवाले पुरुष और सदका देनेवाली स्त्रियाँ है और उन्होंने अल्लाह को अच्छा ऋण दिया, उसे उसके लिए कई गुना कर दिया जाएगा। और उनके लिए सम्मानित प्रतिदान है
وَالَّذِينَ آمَنُوا بِاللَّهِ وَرُسُلِهِ أُولَـٰئِكَ هُمُ الصِّدِّيقُونَ ۖ وَالشُّهَدَاءُ عِنْدَ رَبِّهِمْ لَهُمْ أَجْرُهُمْ وَنُورُهُمْ ۖ وَالَّذِينَ كَفَرُوا وَكَذَّبُوا بِآيَاتِنَا أُولَـٰئِكَ أَصْحَابُ الْجَحِيمِ19
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए, वही अपने रब के यहाण सिद्दीक और शहीद है। उनके लिए उनका प्रतिदान और उनका प्रकाश है। किन्तु जिन लोगों ने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही भड़कती आगवाले हैं
اعْلَمُوا أَنَّمَا الْحَيَاةُ الدُّنْيَا لَعِبٌ وَلَهْوٌ وَزِينَةٌ وَتَفَاخُرٌ بَيْنَكُمْ وَتَكَاثُرٌ فِي الْأَمْوَالِ وَالْأَوْلَادِ ۖ كَمَثَلِ غَيْثٍ أَعْجَبَ الْكُفَّارَ نَبَاتُهُ ثُمَّ يَهِيجُ فَتَرَاهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ يَكُونُ حُطَامًا ۖ وَفِي الْآخِرَةِ عَذَابٌ شَدِيدٌ وَمَغْفِرَةٌ مِنَ اللَّهِ وَرِضْوَانٌ ۚ وَمَا الْحَيَاةُ الدُّنْيَا إِلَّا مَتَاعُ الْغُرُورِ20
जान लो, सांसारिक जीवन तो बस एक खेल और तमाशा है और एक साज-सज्जा, और तुम्हारा आपस में एक-दूसरे पर बड़ाई जताना, और धन और सन्तान में परस्पर एक-दूसरे से बढ़ा हुआ प्रदर्शित करना। वर्षा का मिसाल की तरह जिसकी वनस्पति ने किसान का दिल मोह लिया। फिर वह पक जाती है; फिर तुम उसे देखते हो कि वह पीली हो गई। फिर वह चूर्ण-विचूर्ण होकर रह जाती है, जबकि आख़िरत में कठोर यातना भी है और अल्लाह की क्षमा और प्रसन्नता भी। सांसारिक जीवन तो केवल धोखे की सुख-सामग्री है
سَابِقُوا إِلَىٰ مَغْفِرَةٍ مِنْ رَبِّكُمْ وَجَنَّةٍ عَرْضُهَا كَعَرْضِ السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ أُعِدَّتْ لِلَّذِينَ آمَنُوا بِاللَّهِ وَرُسُلِهِ ۚ ذَٰلِكَ فَضْلُ اللَّهِ يُؤْتِيهِ مَنْ يَشَاءُ ۚ وَاللَّهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ21
अपने रब की क्षमा और उस जन्नत की ओर अग्रसर होने में एक-दूसरे से बाज़ी ले जाओ, जिसका विस्तार आकाश और धरती के विस्तार जैसा है, जो उन लोगों के लिए तैयार की गई है जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए हों। यह अल्लाह का उदार अनुग्रह है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े उदार अनुग्रह का मालिक है
مَا أَصَابَ مِنْ مُصِيبَةٍ فِي الْأَرْضِ وَلَا فِي أَنْفُسِكُمْ إِلَّا فِي كِتَابٍ مِنْ قَبْلِ أَنْ نَبْرَأَهَا ۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى اللَّهِ يَسِيرٌ22
जो मुसीबतें भी धरती में आती है और तुम्हारे अपने ऊपर, वह अनिवार्यतः एक किताब में अंकित है, इससे पहले कि हम उसे अस्तित्व में लाएँ - निश्चय ही यह अल्लाह के लिए आसान है -
لِكَيْلَا تَأْسَوْا عَلَىٰ مَا فَاتَكُمْ وَلَا تَفْرَحُوا بِمَا آتَاكُمْ ۗ وَاللَّهُ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخْتَالٍ فَخُورٍ23
(यह बात तुम्हें इसलिए बता दी गई) ताकि तुम उस चीज़ का अफ़सोस न करो जो तुम पर जाती रहे और न उसपर फूल जाओ जो उसने तुम्हें प्रदान की हो। अल्लाह किसी इतरानेवाले, बड़ाई जतानेवाले को पसन्द नहीं करता
الَّذِينَ يَبْخَلُونَ وَيَأْمُرُونَ النَّاسَ بِالْبُخْلِ ۗ وَمَنْ يَتَوَلَّ فَإِنَّ اللَّهَ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيدُ24
जो स्वयं कंजूसी करते है और लोगों को भी कंजूसी करने पर उकसाते है, और जो कोई मुँह मोड़े तो अल्लाह तो निस्पृह प्रशंसनीय है
لَقَدْ أَرْسَلْنَا رُسُلَنَا بِالْبَيِّنَاتِ وَأَنْزَلْنَا مَعَهُمُ الْكِتَابَ وَالْمِيزَانَ لِيَقُومَ النَّاسُ بِالْقِسْطِ ۖ وَأَنْزَلْنَا الْحَدِيدَ فِيهِ بَأْسٌ شَدِيدٌ وَمَنَافِعُ لِلنَّاسِ وَلِيَعْلَمَ اللَّهُ مَنْ يَنْصُرُهُ وَرُسُلَهُ بِالْغَيْبِ ۚ إِنَّ اللَّهَ قَوِيٌّ عَزِيزٌ25
निश्चय ही हमने अपने रसूलों को स्पष्ट प्रमाणों के साथ भेजा और उनके लिए किताब और तुला उतारी, ताकि लोग इनसाफ़ पर क़ायम हों। और लोहा भी उतारा, जिसमें बड़ी दहशत है और लोगों के लिए कितने ही लाभ है., और (किताब एवं तुला इसलिए भी उतारी) ताकि अल्लाह जान ले कि कौन परोक्ष में रहते हुए उसकी और उसके रसूलों की सहायता करता है। निश्चय ही अल्लाह शक्तिशाली, प्रभुत्वशाली है
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا نُوحًا وَإِبْرَاهِيمَ وَجَعَلْنَا فِي ذُرِّيَّتِهِمَا النُّبُوَّةَ وَالْكِتَابَ ۖ فَمِنْهُمْ مُهْتَدٍ ۖ وَكَثِيرٌ مِنْهُمْ فَاسِقُونَ26
हमने नूह और इबराहीम को भेजा और उन दोनों की सन्तान में पैग़म्बरी और क़िताब रख दी। फिर उनमें से किसी ने तो संमार्ग अपनाया; किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी थे
ثُمَّ قَفَّيْنَا عَلَىٰ آثَارِهِمْ بِرُسُلِنَا وَقَفَّيْنَا بِعِيسَى ابْنِ مَرْيَمَ وَآتَيْنَاهُ الْإِنْجِيلَ وَجَعَلْنَا فِي قُلُوبِ الَّذِينَ اتَّبَعُوهُ رَأْفَةً وَرَحْمَةً وَرَهْبَانِيَّةً ابْتَدَعُوهَا مَا كَتَبْنَاهَا عَلَيْهِمْ إِلَّا ابْتِغَاءَ رِضْوَانِ اللَّهِ فَمَا رَعَوْهَا حَقَّ رِعَايَتِهَا ۖ فَآتَيْنَا الَّذِينَ آمَنُوا مِنْهُمْ أَجْرَهُمْ ۖ وَكَثِيرٌ مِنْهُمْ فَاسِقُونَ27
फिर उनके पीछ उन्हीं के पद-चिन्हों पर हमने अपने दूसरे रसूलों को भेजा और हमने उनके पीछे मरयम के बेटे ईसा को भेजा और उसे इंजील प्रदान की। और जिन लोगों ने उसका अनुसरण किया, उनके दिलों में हमने करुणा और दया रख दी। रहा संन्यास, तो उसे उन्होंने स्वयं घड़ा था। हमने उसे उनके लिए अनिवार्य नहीं किया था, यदि अनिवार्य किया था तो केवल अल्लाह की प्रसन्नता की चाहत। फिर वे उसका निर्वाह न कर सकें, जैसा कि उनका निर्वाह करना चाहिए था। अतः उन लोगों को, जो उनमें से वास्तव में ईमान लाए थे, उनका बदला हमने (उन्हें) प्रदान किया। किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी ही है
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَآمِنُوا بِرَسُولِهِ يُؤْتِكُمْ كِفْلَيْنِ مِنْ رَحْمَتِهِ وَيَجْعَلْ لَكُمْ نُورًا تَمْشُونَ بِهِ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ۚ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَحِيمٌ28
ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो! अल्लाह का डर रखो और उसके रसूल पर ईमान लाओ। वह तुम्हें अपनी दयालुता का दोहरा हिस्सा प्रदान करेगा और तुम्हारे लिए एक प्रकाश कर देगा, जिसमें तुम चलोगे और तुम्हें क्षमा कर देगा। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
لِئَلَّا يَعْلَمَ أَهْلُ الْكِتَابِ أَلَّا يَقْدِرُونَ عَلَىٰ شَيْءٍ مِنْ فَضْلِ اللَّهِ ۙ وَأَنَّ الْفَضْلَ بِيَدِ اللَّهِ يُؤْتِيهِ مَنْ يَشَاءُ ۚ وَاللَّهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيمِ29
ताकि किताबवाले यह न समझें कि अल्लाह के अनुग्रह में से वे किसी चीज़ पर अधिकार न प्राप्त कर सकेंगे और यह कि अनुग्रह अल्लाह के हाथ में है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े अनुग्रह का मालिक है