यासीन
وَمَا أَنْزَلْنَا عَلَىٰ قَوْمِهِ مِنْ بَعْدِهِ مِنْ جُنْدٍ مِنَ السَّمَاءِ وَمَا كُنَّا مُنْزِلِينَ28
उसके पश्चात उसकी क़ौम पर हमने आकाश से कोई सेना नहीं उतारी और हम इस तरह उतारा नहीं करते
إِنْ كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ خَامِدُونَ29
वह तो केवल एक प्रचंड चीत्कार थी। तो सहसा क्या देखते है कि वे बुझकर रह गए
يَا حَسْرَةً عَلَى الْعِبَادِ ۚ مَا يَأْتِيهِمْ مِنْ رَسُولٍ إِلَّا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ30
ऐ अफ़सोस बन्दो पर! जो रसूल भी उनके पास आया, वे उसका परिहास ही करते रहे
أَلَمْ يَرَوْا كَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُمْ مِنَ الْقُرُونِ أَنَّهُمْ إِلَيْهِمْ لَا يَرْجِعُونَ31
क्या उन्होंने नहीं देखा कि उनसे पहले कितनी ही नस्लों को हमने विनष्ट किया कि वे उनकी ओर पलटकर नहीं आएँगे?
وَإِنْ كُلٌّ لَمَّا جَمِيعٌ لَدَيْنَا مُحْضَرُونَ32
और जितने भी है, सबके सब हमारे ही सामने उपस्थित किए जाएँगे
وَآيَةٌ لَهُمُ الْأَرْضُ الْمَيْتَةُ أَحْيَيْنَاهَا وَأَخْرَجْنَا مِنْهَا حَبًّا فَمِنْهُ يَأْكُلُونَ33
और एक निशानी उनके लिए मृत भूमि है। हमने उसे जीवित किया और उससे अनाज निकाला, तो वे खाते है
وَجَعَلْنَا فِيهَا جَنَّاتٍ مِنْ نَخِيلٍ وَأَعْنَابٍ وَفَجَّرْنَا فِيهَا مِنَ الْعُيُونِ34
और हमने उसमें खजूरों और अंगूरों के बाग लगाए और उसमें स्रोत प्रवाहित किए;
لِيَأْكُلُوا مِنْ ثَمَرِهِ وَمَا عَمِلَتْهُ أَيْدِيهِمْ ۖ أَفَلَا يَشْكُرُونَ35
ताकि वे उसके फल खाएँ - हालाँकि यह सब कुछ उनके हाथों का बनाया हुआ नहीं है। - तो क्या वे आभार नहीं प्रकट करते?
سُبْحَانَ الَّذِي خَلَقَ الْأَزْوَاجَ كُلَّهَا مِمَّا تُنْبِتُ الْأَرْضُ وَمِنْ أَنْفُسِهِمْ وَمِمَّا لَا يَعْلَمُونَ36
महिमावान है वह जिसने सबके जोड़े पैदा किए धरती जो चीजें उगाती है उनमें से भी और स्वयं उनकी अपनी जाति में से भी और उन चीज़ो में से भी जिनको वे नहीं जानते
وَآيَةٌ لَهُمُ اللَّيْلُ نَسْلَخُ مِنْهُ النَّهَارَ فَإِذَا هُمْ مُظْلِمُونَ37
और एक निशानी उनके लिए रात है। हम उसपर से दिन को खींच लेते है। फिर क्या देखते है कि वे अँधेरे में रह गए
وَالشَّمْسُ تَجْرِي لِمُسْتَقَرٍّ لَهَا ۚ ذَٰلِكَ تَقْدِيرُ الْعَزِيزِ الْعَلِيمِ38
और सूर्य अपने नियत ठिकाने के लिए चला जा रहा है। यह बाँधा हुआ हिसाब है प्रभुत्वशाली, ज्ञानवान का
وَالْقَمَرَ قَدَّرْنَاهُ مَنَازِلَ حَتَّىٰ عَادَ كَالْعُرْجُونِ الْقَدِيمِ39
और रहा चन्द्रमा, तो उसकी नियति हमने मंज़िलों के क्रम में रखी, यहाँ तक कि वह फिर खजूर की पूरानी टेढ़ी टहनी के सदृश हो जाता है
لَا الشَّمْسُ يَنْبَغِي لَهَا أَنْ تُدْرِكَ الْقَمَرَ وَلَا اللَّيْلُ سَابِقُ النَّهَارِ ۚ وَكُلٌّ فِي فَلَكٍ يَسْبَحُونَ40
न सूर्य ही से हो सकता है कि चाँद को जा पकड़े और न रात दिन से आगे बढ़ सकती है। सब एक-एक कक्षा में तैर रहे हैं
وَآيَةٌ لَهُمْ أَنَّا حَمَلْنَا ذُرِّيَّتَهُمْ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ41
और एक निशानी उनके लिए यह है कि हमने उनके अनुवर्तियों को भरी हुई नौका में सवार किया
وَخَلَقْنَا لَهُمْ مِنْ مِثْلِهِ مَا يَرْكَبُونَ42
और उनके लिए उसी के सदृश और भी ऐसी चीज़े पैदा की, जिनपर वे सवार होते है
وَإِنْ نَشَأْ نُغْرِقْهُمْ فَلَا صَرِيخَ لَهُمْ وَلَا هُمْ يُنْقَذُونَ43
और यदि हम चाहें तो उन्हें डूबो दें। फिर न तो उनकी कोई चीख-पुकार हो और न उन्हें बचाया जा सके
إِلَّا رَحْمَةً مِنَّا وَمَتَاعًا إِلَىٰ حِينٍ44
यह तो बस हमारी दयालुता और एक नियत समय तक की सुख-सामग्री है
وَإِذَا قِيلَ لَهُمُ اتَّقُوا مَا بَيْنَ أَيْدِيكُمْ وَمَا خَلْفَكُمْ لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُونَ45
और जब उनसे कहा जाता है कि उस चीज़ का डर रखो, जो तुम्हारे आगे है और जो तुम्हारे पीछे है, ताकि तुमपर दया कि जाए! (तो चुप्पी साझ लेते है)
وَمَا تَأْتِيهِمْ مِنْ آيَةٍ مِنْ آيَاتِ رَبِّهِمْ إِلَّا كَانُوا عَنْهَا مُعْرِضِينَ46
उनके पास उनके रब की आयतों में से जो आयत भी आती है, वे उससे कतराते ही है
وَإِذَا قِيلَ لَهُمْ أَنْفِقُوا مِمَّا رَزَقَكُمُ اللَّهُ قَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا لِلَّذِينَ آمَنُوا أَنُطْعِمُ مَنْ لَوْ يَشَاءُ اللَّهُ أَطْعَمَهُ إِنْ أَنْتُمْ إِلَّا فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ47
और जब उनसे कहा जाता है कि "अल्लाह ने जो कुछ रोज़ी तुम्हें दी है उनमें से ख़र्च करो।" तो जिन लोगों ने इनकार किया है, वे उन लोगों से, जो ईमान लाए है, कहते है, "क्या हम उसको खाना खिलाएँ जिसे .दि अल्लाह चाहता तो स्वयं खिला देता? तुम तो बस खुली गुमराही में पड़े हो।"
وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَـٰذَا الْوَعْدُ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ48
और वे कहते है कि "यह वादा कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो?"
مَا يَنْظُرُونَ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً تَأْخُذُهُمْ وَهُمْ يَخِصِّمُونَ49
वे तो बस एक प्रचंड चीत्कार की प्रतीक्षा में है, जो उन्हें आ पकड़ेगी, जबकि वे झगड़ते होंगे
فَلَا يَسْتَطِيعُونَ تَوْصِيَةً وَلَا إِلَىٰ أَهْلِهِمْ يَرْجِعُونَ50
फिर न तो वे कोई वसीयत कर पाएँगे और न अपने घरवालों की ओर लौट ही सकेंगे
وَنُفِخَ فِي الصُّورِ فَإِذَا هُمْ مِنَ الْأَجْدَاثِ إِلَىٰ رَبِّهِمْ يَنْسِلُونَ51
और नरसिंघा में फूँक मारी जाएगी। फिर क्या देखेंगे कि वे क़ब्रों से निकलकर अपने रब की ओर चल पड़े हैं
قَالُوا يَا وَيْلَنَا مَنْ بَعَثَنَا مِنْ مَرْقَدِنَا ۜ ۗ هَـٰذَا مَا وَعَدَ الرَّحْمَـٰنُ وَصَدَقَ الْمُرْسَلُونَ52
कहेंगे, "ऐ अफ़सोस हम पर! किसने हमें सोते से जगा दिया? यह वही चीज़ है जिसका रहमान ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था।"
إِنْ كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ جَمِيعٌ لَدَيْنَا مُحْضَرُونَ53
बस एक ज़ोर की चिंघाड़ होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे सबके-सब हमारे सामने उपस्थित कर दिए गए
فَالْيَوْمَ لَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَيْئًا وَلَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ54
अब आज किसी जीव पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा और तुम्हें बदले में वही मिलेगा जो कुछ तुम करते रहे हो
إِنَّ أَصْحَابَ الْجَنَّةِ الْيَوْمَ فِي شُغُلٍ فَاكِهُونَ55
निश्चय ही जन्नतवाले आज किसी न किसी काम नें व्यस्त आनन्द ले रहे है
هُمْ وَأَزْوَاجُهُمْ فِي ظِلَالٍ عَلَى الْأَرَائِكِ مُتَّكِئُونَ56
वे और उनकी पत्नियों छायों में मसहरियों पर तकिया लगाए हुए है,
لَهُمْ فِيهَا فَاكِهَةٌ وَلَهُمْ مَا يَدَّعُونَ57
उनके लिए वहाँ मेवे है। औऱ उनके लिए वह सब कुछ मौजूद है, जिसकी वे माँग करें
سَلَامٌ قَوْلًا مِنْ رَبٍّ رَحِيمٍ58
(उनपर) सलाम है, दयामय रब का उच्चारित किया हुआ
وَامْتَازُوا الْيَوْمَ أَيُّهَا الْمُجْرِمُونَ59
"और ऐ अपराधियों! आज तुम छँटकर अलग हो जाओ
أَلَمْ أَعْهَدْ إِلَيْكُمْ يَا بَنِي آدَمَ أَنْ لَا تَعْبُدُوا الشَّيْطَانَ ۖ إِنَّهُ لَكُمْ عَدُوٌّ مُبِينٌ60
क्या मैंने तुम्हें ताकीद नहीं की थी, ऐ आदम के बेटो! कि शैतान की बन्दगी न करे। वास्तव में वह तुम्हारा खुला शत्रु है
وَأَنِ اعْبُدُونِي ۚ هَـٰذَا صِرَاطٌ مُسْتَقِيمٌ61
और यह कि मेरी बन्दगी करो? यही सीधा मार्ग है
وَلَقَدْ أَضَلَّ مِنْكُمْ جِبِلًّا كَثِيرًا ۖ أَفَلَمْ تَكُونُوا تَعْقِلُونَ62
उसने तो तुममें से बहुत-से गिरोहों को पथभ्रष्ट कर दिया। तो क्या तुम बुद्धि नहीं रखते थे?
هَـٰذِهِ جَهَنَّمُ الَّتِي كُنْتُمْ تُوعَدُونَ63
यह वही जहन्नम है जिसकी तुम्हें धमकी दी जाती रही है
اصْلَوْهَا الْيَوْمَ بِمَا كُنْتُمْ تَكْفُرُونَ64
जो इनकार तुम करते रहे हो, उसके बदले में आज इसमें प्रविष्ट हो जाओ।"
الْيَوْمَ نَخْتِمُ عَلَىٰ أَفْوَاهِهِمْ وَتُكَلِّمُنَا أَيْدِيهِمْ وَتَشْهَدُ أَرْجُلُهُمْ بِمَا كَانُوا يَكْسِبُونَ65
आज हम उनके मुँह पर मुहर लगा देंगे और उनके हाथ हमसे बोलेंगे और जो कुछ वे कमाते रहे है, उनके पाँव उसकी गवाही देंगे
وَلَوْ نَشَاءُ لَطَمَسْنَا عَلَىٰ أَعْيُنِهِمْ فَاسْتَبَقُوا الصِّرَاطَ فَأَنَّىٰ يُبْصِرُونَ66
यदि हम चाहें तो उनकी आँखें मेट दें क्योंकि वे (अपने रूढ़) मार्ग की और लपके हुए है। फिर उन्हें सुझाई कहाँ से देगा?
وَلَوْ نَشَاءُ لَمَسَخْنَاهُمْ عَلَىٰ مَكَانَتِهِمْ فَمَا اسْتَطَاعُوا مُضِيًّا وَلَا يَرْجِعُونَ67
यदि हम चाहें तो उनकी जगह पर ही उनके रूप बिगाड़कर रख दें क्योंकि वे सत्य की ओर न चल सके और वे (गुमराही से) बाज़ नहीं आते।
وَمَنْ نُعَمِّرْهُ نُنَكِّسْهُ فِي الْخَلْقِ ۖ أَفَلَا يَعْقِلُونَ68
जिसको हम दीर्धायु देते है, उसको उसकी संरचना में उल्टा फेर देते है। तो क्या वे बुद्धि से काम नहीं लेते?
وَمَا عَلَّمْنَاهُ الشِّعْرَ وَمَا يَنْبَغِي لَهُ ۚ إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ وَقُرْآنٌ مُبِينٌ69
हमने उस (नबी) को कविता नहीं सिखाई और न वह उसके लिए शोभनीय है। वह तो केवल अनुस्मृति और स्पष्ट क़ुरआन है;
لِيُنْذِرَ مَنْ كَانَ حَيًّا وَيَحِقَّ الْقَوْلُ عَلَى الْكَافِرِينَ70
ताकि वह उसे सचेत कर दे जो जीवन्त हो और इनकार करनेवालों पर (यातना की) बात स्थापित हो जाए
أَوَلَمْ يَرَوْا أَنَّا خَلَقْنَا لَهُمْ مِمَّا عَمِلَتْ أَيْدِينَا أَنْعَامًا فَهُمْ لَهَا مَالِكُونَ71
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हमने उनके लिए अपने हाथों की बनाई हुई चीज़ों में से चौपाए पैदा किए और अब वे उनके मालिक है?
وَذَلَّلْنَاهَا لَهُمْ فَمِنْهَا رَكُوبُهُمْ وَمِنْهَا يَأْكُلُونَ72
और उन्हें उनके बस में कर दिया कि उनमें से कुछ तो उनकी सवारियाँ हैं और उनमें से कुछ को खाते है।
وَلَهُمْ فِيهَا مَنَافِعُ وَمَشَارِبُ ۖ أَفَلَا يَشْكُرُونَ73
और उनके लिए उनमें कितने ही लाभ है और पेय भी है। तो क्या वे कृतज्ञता नहीं दिखलाते?
وَاتَّخَذُوا مِنْ دُونِ اللَّهِ آلِهَةً لَعَلَّهُمْ يُنْصَرُونَ74
उन्होंने अल्लाह से इतर कितने ही उपास्य बना लिए है कि शायद उन्हें मदद पहुँचे।
لَا يَسْتَطِيعُونَ نَصْرَهُمْ وَهُمْ لَهُمْ جُنْدٌ مُحْضَرُونَ75
वे उनकी सहायता करने की सामर्थ्य नहीं रखते, हालाँकि वे (बहुदेववादियों की अपनी स्पष्ट में) उनके लिए उपस्थित सेनाएँ हैं
فَلَا يَحْزُنْكَ قَوْلُهُمْ ۘ إِنَّا نَعْلَمُ مَا يُسِرُّونَ وَمَا يُعْلِنُونَ76
अतः उनकी बात तुम्हें शोकाकुल न करे। हम जानते है जो कुछ वे छिपाते और जो कुछ व्यक्त करते है
أَوَلَمْ يَرَ الْإِنْسَانُ أَنَّا خَلَقْنَاهُ مِنْ نُطْفَةٍ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌ مُبِينٌ77
क्या (इनकार करनेवाले) मनुष्य को नहीं देखा कि हमने उसे वीर्य से पैदा किया? फिर क्या देखते है कि वह प्रत्क्षय विरोधी झगड़ालू बन गया
وَضَرَبَ لَنَا مَثَلًا وَنَسِيَ خَلْقَهُ ۖ قَالَ مَنْ يُحْيِي الْعِظَامَ وَهِيَ رَمِيمٌ78
और उसने हमपर फबती कसी और अपनी पैदाइश को भूल गया। कहता है, "कौन हड्डियों में जान डालेगा, जबकि वे जीर्ण-शीर्ण हो चुकी होंगी?"
قُلْ يُحْيِيهَا الَّذِي أَنْشَأَهَا أَوَّلَ مَرَّةٍ ۖ وَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِيمٌ79
कह दो, "उनमें वही जाल डालेगा जिसने उनको पहली बार पैदा किया। वह तो प्रत्येक संसृति को भली-भाँति जानता है
الَّذِي جَعَلَ لَكُمْ مِنَ الشَّجَرِ الْأَخْضَرِ نَارًا فَإِذَا أَنْتُمْ مِنْهُ تُوقِدُونَ80
वही है जिसने तुम्हारे लिए हरे-भरे वृक्ष से आग पैदा कर दी। तो लगे हो तुम उससे जलाने।"
أَوَلَيْسَ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِقَادِرٍ عَلَىٰ أَنْ يَخْلُقَ مِثْلَهُمْ ۚ بَلَىٰ وَهُوَ الْخَلَّاقُ الْعَلِيمُ81
क्या जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया उसे इसकी सामर्थ्य नहीं कि उन जैसों को पैदा कर दे? क्यों नहीं, जबकि वह महान स्रष्टा , अत्यन्त ज्ञानवान है
إِنَّمَا أَمْرُهُ إِذَا أَرَادَ شَيْئًا أَنْ يَقُولَ لَهُ كُنْ فَيَكُونُ82
उसका मामला तो बस यह है कि जब वह किसी चीज़ (के पैदा करने) का इरादा करता है तो उससे कहता है, "हो जा!" और वह हो जाती है
فَسُبْحَانَ الَّذِي بِيَدِهِ مَلَكُوتُ كُلِّ شَيْءٍ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ83
अतः महिमा है उसकी, जिसके हाथ में हर चीज़ का पूरा अधिकार है। और उसी की ओर तुम लौटकर जाओगे
अस-साफ्फ़ात
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
وَالصَّافَّاتِ صَفًّا1
गवाह है परा जमाकर पंक्तिबद्ध होनेवाले;
فَالزَّاجِرَاتِ زَجْرًا2
फिर डाँटनेवाले;
فَالتَّالِيَاتِ ذِكْرًا3
फिर यह ज़िक्र करनेवाले
إِنَّ إِلَـٰهَكُمْ لَوَاحِدٌ4
कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला है।
رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا وَرَبُّ الْمَشَارِقِ5
वह आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है और पूर्व दिशाओं का भी रब है
إِنَّا زَيَّنَّا السَّمَاءَ الدُّنْيَا بِزِينَةٍ الْكَوَاكِبِ6
हमने दुनिया के आकाश को सजावट अर्थात तारों से सुसज्जित किया, (रात में मुसाफ़िरों को मार्ग दिखाने के लिए)
وَحِفْظًا مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ مَارِدٍ7
और प्रत्येक सरकश शैतान से सुरक्षित रखने के लिए
لَا يَسَّمَّعُونَ إِلَى الْمَلَإِ الْأَعْلَىٰ وَيُقْذَفُونَ مِنْ كُلِّ جَانِبٍ8
वे (शैतान) "मलए आला" की ओर कान नहीं लगा पाते और हर ओर से फेंक मारे जाते है भगाने-धुतकारने के लिए।
دُحُورًا ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ وَاصِبٌ9
और उनके लिए अनवरत यातना है
إِلَّا مَنْ خَطِفَ الْخَطْفَةَ فَأَتْبَعَهُ شِهَابٌ ثَاقِبٌ10
किन्तु यह और बात है कि कोई कुछ उचक ले, इस दशा में एक तेज़ दहकती उल्का उसका पीछा करती है
فَاسْتَفْتِهِمْ أَهُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمْ مَنْ خَلَقْنَا ۚ إِنَّا خَلَقْنَاهُمْ مِنْ طِينٍ لَازِبٍ11
अब उनके पूछो कि उनके पैदा करने का काम अधिक कठिन है या उन चीज़ों का, जो हमने पैदा कर रखी है। निस्संदेह हमने उनको लेसकर मिट्टी से पैदा किया।
بَلْ عَجِبْتَ وَيَسْخَرُونَ12
बल्कि तुम तो आश्चर्य में हो और वे है कि परिहास कर रहे है
وَإِذَا ذُكِّرُوا لَا يَذْكُرُونَ13
और जब उन्हें याद दिलाया जाता है, तो वे याद नहीं करते,
وَإِذَا رَأَوْا آيَةً يَسْتَسْخِرُونَ14
और जब कोई निशानी देखते है तो हँसी उड़ाते है
وَقَالُوا إِنْ هَـٰذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ15
और कहते है, "यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है
أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَبْعُوثُونَ16
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या फिर हम उठाए जाएँगे?
أَوَآبَاؤُنَا الْأَوَّلُونَ17
क्या और हमारे पहले के बाप-दादा भी?"
قُلْ نَعَمْ وَأَنْتُمْ دَاخِرُونَ18
कह दो, "हाँ! और तुम अपमानित भी होंगे।"
فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ فَإِذَا هُمْ يَنْظُرُونَ19
वह तो बस एक झिड़की होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे ताकने लगे है
وَقَالُوا يَا وَيْلَنَا هَـٰذَا يَوْمُ الدِّينِ20
और वे कहेंगे, "ऐ अफ़सोस हमपर! यह तो बदले का दिन है।"
هَـٰذَا يَوْمُ الْفَصْلِ الَّذِي كُنْتُمْ بِهِ تُكَذِّبُونَ21
यह वही फ़ैसले का दिन है जिसे तुम झुठलाते रहे हो
احْشُرُوا الَّذِينَ ظَلَمُوا وَأَزْوَاجَهُمْ وَمَا كَانُوا يَعْبُدُونَ22
(कहा जाएगा) "एकत्र करो उन लोगों को जिन्होंने ज़ुल्म किया और उनके जोड़ीदारों को भी और उनको भी जिनकी अल्लाह से हटकर वे बन्दगी करते रहे है।
مِنْ دُونِ اللَّهِ فَاهْدُوهُمْ إِلَىٰ صِرَاطِ الْجَحِيمِ23
फिर उन सबको भड़कती हुई आग की राह दिखाओ!"
وَقِفُوهُمْ ۖ إِنَّهُمْ مَسْئُولُونَ24
और तनिक उन्हें ठहराओ, उनसे पूछना है,
مَا لَكُمْ لَا تَنَاصَرُونَ25
"तुम्हें क्या हो गया, जो तुम एक-दूसरे की सहायता नहीं कर रहे हो?"
بَلْ هُمُ الْيَوْمَ مُسْتَسْلِمُونَ26
बल्कि वे तो आज बड़े आज्ञाकारी हो गए है
وَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ27
वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके पूछते हुए कहेंगे,
قَالُوا إِنَّكُمْ كُنْتُمْ تَأْتُونَنَا عَنِ الْيَمِينِ28
"तुम तो हमारे पास आते थे दाहिने से (और बाएँ से)"
قَالُوا بَلْ لَمْ تَكُونُوا مُؤْمِنِينَ29
वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम स्वयं ही ईमानवाले न थे
وَمَا كَانَ لَنَا عَلَيْكُمْ مِنْ سُلْطَانٍ ۖ بَلْ كُنْتُمْ قَوْمًا طَاغِينَ30
और हमारा तो तुमपर कोई ज़ोर न था, बल्कि तुम स्वयं ही सरकश लोग थे
فَحَقَّ عَلَيْنَا قَوْلُ رَبِّنَا ۖ إِنَّا لَذَائِقُونَ31
अन्ततः हमपर हमारे रब की बात सत्यापित होकर रही। निस्संदेह हमें (अपनी करतूत का) मजा़ चखना ही होगा
فَأَغْوَيْنَاكُمْ إِنَّا كُنَّا غَاوِينَ32
सो हमने तुम्हे बहकाया। निश्चय ही हम स्वयं बहके हुए थे।"
فَإِنَّهُمْ يَوْمَئِذٍ فِي الْعَذَابِ مُشْتَرِكُونَ33
अतः वे सब उस दिन यातना में एक-दूसरे के सह-भागी होंगे
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَفْعَلُ بِالْمُجْرِمِينَ34
हम अपराधियों के साथ ऐसा ही किया करते है
إِنَّهُمْ كَانُوا إِذَا قِيلَ لَهُمْ لَا إِلَـٰهَ إِلَّا اللَّهُ يَسْتَكْبِرُونَ35
उनका हाल यह था कि जब उनसे कहा जाता कि "अल्लाह के सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं हैं।" तो वे घमंड में आ जाते थे
وَيَقُولُونَ أَئِنَّا لَتَارِكُو آلِهَتِنَا لِشَاعِرٍ مَجْنُونٍ36
और कहते थे, "क्या हम एक उन्मादी कवि के लिए अपने उपास्यों को छोड़ दें?"
بَلْ جَاءَ بِالْحَقِّ وَصَدَّقَ الْمُرْسَلِينَ37
"नहीं, बल्कि वह सत्य लेकर आया है और वह (पिछले) रसूलों की पुष्टि॥ में है।
إِنَّكُمْ لَذَائِقُو الْعَذَابِ الْأَلِيمِ38
निश्चय ही तुम दुखद यातना का मज़ा चखोगे। -
وَمَا تُجْزَوْنَ إِلَّا مَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ39
"तुम बदला वही तो पाओगे जो तुम करते हो।"
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ40
अलबत्ता अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है
أُولَـٰئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَعْلُومٌ41
वही लोग है जिनके लिए जानी-बूझी रोज़ी है,
فَوَاكِهُ ۖ وَهُمْ مُكْرَمُونَ42
स्वादिष्ट फल।
فِي جَنَّاتِ النَّعِيمِ43
और वे नेमत भरी जन्नतों
عَلَىٰ سُرُرٍ مُتَقَابِلِينَ44
में सम्मानपूर्वक होंगे, तख़्तों पर आमने-सामने विराजमान होंगे;
يُطَافُ عَلَيْهِمْ بِكَأْسٍ مِنْ مَعِينٍ45
उनके बीच विशुद्ध पेय का पात्र फिराया जाएगा,
بَيْضَاءَ لَذَّةٍ لِلشَّارِبِينَ46
बिलकुल साफ़, उज्जवल, पीनेवालों के लिए सर्वथा सुस्वादु
لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنْزَفُونَ47
न उसमें कोई ख़ुमार होगा और न वे उससे निढाल और मदहोश होंगे।
وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ عِينٌ48
और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली, सुन्दर आँखोंवाली स्त्रियाँ होंगी,
كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَكْنُونٌ49
मानो वे सुरक्षित अंडे है
فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَاءَلُونَ50
फिर वे एक-दूसरे की ओर रुख़ करके आपस में पूछेंगे
قَالَ قَائِلٌ مِنْهُمْ إِنِّي كَانَ لِي قَرِينٌ51
उनमें से एक कहनेवाला कहेगा, "मेरा एक साथी था;
يَقُولُ أَإِنَّكَ لَمِنَ الْمُصَدِّقِينَ52
जो कहा करता था क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो?
أَإِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَامًا أَإِنَّا لَمَدِينُونَ53
क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे?"
قَالَ هَلْ أَنْتُمْ مُطَّلِعُونَ54
वह कहेगा, "क्या तुम झाँककर देखोगे?"
فَاطَّلَعَ فَرَآهُ فِي سَوَاءِ الْجَحِيمِ55
फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा
قَالَ تَاللَّهِ إِنْ كِدْتَ لَتُرْدِينِ56
कहेगा, "अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे
وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّي لَكُنْتُ مِنَ الْمُحْضَرِينَ57
यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता
أَفَمَا نَحْنُ بِمَيِّتِينَ58
है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं।
إِلَّا مَوْتَتَنَا الْأُولَىٰ وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ59
हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और हमें कोई यातना ही दी जाएगी!"
إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ60
निश्चय ही यही बड़ी सफलता है
لِمِثْلِ هَـٰذَا فَلْيَعْمَلِ الْعَامِلُونَ61
ऐसी की चीज़ के लिए कर्म करनेवालों को कर्म करना चाहिए
أَذَٰلِكَ خَيْرٌ نُزُلًا أَمْ شَجَرَةُ الزَّقُّومِ62
क्या वह आतिथ्य अच्छा है या 'ज़क़्क़ूम' का वृक्ष?
إِنَّا جَعَلْنَاهَا فِتْنَةً لِلظَّالِمِينَ63
निश्चय ही हमने उस (वृक्ष) को ज़ालिमों के लिए परीक्षा बना दिया है
إِنَّهَا شَجَرَةٌ تَخْرُجُ فِي أَصْلِ الْجَحِيمِ64
वह एक वृक्ष है जो भड़कती हुई आग की तह से निकलता है
طَلْعُهَا كَأَنَّهُ رُءُوسُ الشَّيَاطِينِ65
उसके गाभे मानो शैतानों के सिर (साँपों के फन) है
فَإِنَّهُمْ لَآكِلُونَ مِنْهَا فَمَالِئُونَ مِنْهَا الْبُطُونَ66
तो वे उसे खाएँगे और उसी से पेट भरेंगे
ثُمَّ إِنَّ لَهُمْ عَلَيْهَا لَشَوْبًا مِنْ حَمِيمٍ67
फिर उनके लिए उसपर खौलते हुए पानी का मिश्रण होगा
ثُمَّ إِنَّ مَرْجِعَهُمْ لَإِلَى الْجَحِيمِ68
फिर उनकी वापसी भड़कती हुई आग की ओर होगी
إِنَّهُمْ أَلْفَوْا آبَاءَهُمْ ضَالِّينَ69
निश्चय ही उन्होंने अपने बाप-दादा को पथभ्रष्ट॥ पाया।
فَهُمْ عَلَىٰ آثَارِهِمْ يُهْرَعُونَ70
फिर वे उन्हीं के पद-चिन्हों पर दौड़ते रहे
وَلَقَدْ ضَلَّ قَبْلَهُمْ أَكْثَرُ الْأَوَّلِينَ71
और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके है,
وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا فِيهِمْ مُنْذِرِينَ72
हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे।
فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِينَ73
तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हे सचेत किया गया था
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ74
अलबत्ता अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है
وَلَقَدْ نَادَانَا نُوحٌ فَلَنِعْمَ الْمُجِيبُونَ75
नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे है निवेदन स्वीकार करनेवाले!
وَنَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ76
हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया
وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ77
और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ78
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ نُوحٍ فِي الْعَالَمِينَ79
कि "सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ80
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ81
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था
ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآخَرِينَ82
फिर हमने दूसरो को डूबो दिया।
وَإِنَّ مِنْ شِيعَتِهِ لَإِبْرَاهِيمَ83
और इबराहीम भी उसी के सहधर्मियों में से था।
إِذْ جَاءَ رَبَّهُ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ84
याद करो, जब वह अपने रब के समक्ष भला-चंगा हृदय लेकर आया;
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِ مَاذَا تَعْبُدُونَ85
जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "तुम किस चीज़ की पूजा करते हो?
أَئِفْكًا آلِهَةً دُونَ اللَّهِ تُرِيدُونَ86
क्या अल्लाह से हटकर मनघड़ंत उपास्यों को चाह रहे हो?
فَمَا ظَنُّكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ87
आख़िर सारे संसार के रब के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?"
فَنَظَرَ نَظْرَةً فِي النُّجُومِ88
फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली
فَقَالَ إِنِّي سَقِيمٌ89
और कहा, "मैं तो निढाल हूँ।"
فَتَوَلَّوْا عَنْهُ مُدْبِرِينَ90
अतएव वे उसे छोड़कर चले गए पीठ फेरकर
فَرَاغَ إِلَىٰ آلِهَتِهِمْ فَقَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ91
फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, "क्या तुम खाते नहीं?
مَا لَكُمْ لَا تَنْطِقُونَ92
तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?"
فَرَاغَ عَلَيْهِمْ ضَرْبًا بِالْيَمِينِ93
फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा
فَأَقْبَلُوا إِلَيْهِ يَزِفُّونَ94
फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए
قَالَ أَتَعْبُدُونَ مَا تَنْحِتُونَ95
उसने कहा, "क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो,
وَاللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ96
जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?"
قَالُوا ابْنُوا لَهُ بُنْيَانًا فَأَلْقُوهُ فِي الْجَحِيمِ97
वे बोले, "उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!"
فَأَرَادُوا بِهِ كَيْدًا فَجَعَلْنَاهُمُ الْأَسْفَلِينَ98
अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया
وَقَالَ إِنِّي ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّي سَيَهْدِينِ99
उसने कहा, "मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा
رَبِّ هَبْ لِي مِنَ الصَّالِحِينَ100
ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।"
فَبَشَّرْنَاهُ بِغُلَامٍ حَلِيمٍ101
तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी
فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ السَّعْيَ قَالَ يَا بُنَيَّ إِنِّي أَرَىٰ فِي الْمَنَامِ أَنِّي أَذْبَحُكَ فَانْظُرْ مَاذَا تَرَىٰ ۚ قَالَ يَا أَبَتِ افْعَلْ مَا تُؤْمَرُ ۖ سَتَجِدُنِي إِنْ شَاءَ اللَّهُ مِنَ الصَّابِرِينَ102
फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, "ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?" उसने कहा, "ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।"
فَلَمَّا أَسْلَمَا وَتَلَّهُ لِلْجَبِينِ103
अन्ततः जब दोनों ने अपने आपको (अल्लाह के आगे) झुका दिया और उसने (इबाराहीम ने) उसे कनपटी के बल लिटा दिया (तो उस समय क्या दृश्य रहा होगा, सोचो!)
وَنَادَيْنَاهُ أَنْ يَا إِبْرَاهِيمُ104
और हमने उसे पुकारा, "ऐ इबराहीम!
قَدْ صَدَّقْتَ الرُّؤْيَا ۚ إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ105
तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। निस्संदेह हम उत्तमकारों को इसी प्रकार बदला देते है।"
إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ الْبَلَاءُ الْمُبِينُ106
निस्संदेह यह तो एक खुली हूई परीक्षा थी
وَفَدَيْنَاهُ بِذِبْحٍ عَظِيمٍ107
और हमने उसे (बेटे को) एक बड़ी क़ुरबानी के बदले में छुड़ा लिया
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ108
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका ज़िक्र छोड़ा,
سَلَامٌ عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ109
कि "सलाम है इबराहीम पर।"
كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ110
उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते है
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ111
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था
وَبَشَّرْنَاهُ بِإِسْحَاقَ نَبِيًّا مِنَ الصَّالِحِينَ112
और हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, अच्छों में से एक नबी
وَبَارَكْنَا عَلَيْهِ وَعَلَىٰ إِسْحَاقَ ۚ وَمِنْ ذُرِّيَّتِهِمَا مُحْسِنٌ وَظَالِمٌ لِنَفْسِهِ مُبِينٌ113
और हमने उसे और इसहाक़ को बरकत दी। और उन दोनों की संतति में कोई तो उत्तमकार है और कोई अपने आप पर खुला ज़ुल्म करनेवाला
وَلَقَدْ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ114
और हम मूसा और हारून पर भी उपकार कर चुके है
وَنَجَّيْنَاهُمَا وَقَوْمَهُمَا مِنَ الْكَرْبِ الْعَظِيمِ115
और हमने उन्हें और उनकी क़ौम को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया
وَنَصَرْنَاهُمْ فَكَانُوا هُمُ الْغَالِبِينَ116
हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभावी रहे
وَآتَيْنَاهُمَا الْكِتَابَ الْمُسْتَبِينَ117
हमने उनको अत्यन्त स्पष्टा किताब प्रदान की।
وَهَدَيْنَاهُمَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ118
और उन्हें सीधा मार्ग दिखाया
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِمَا فِي الْآخِرِينَ119
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَارُونَ120
कि "सलाम है मूसा और हारून पर!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ121
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है
إِنَّهُمَا مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ122
निश्चय ही वे दोनों हमारे ईमानवाले बन्दों में से थे
وَإِنَّ إِلْيَاسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ123
और निस्संदेह इलयास भी रसूलों में से था।
إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ أَلَا تَتَّقُونَ124
याद करो, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते?
أَتَدْعُونَ بَعْلًا وَتَذَرُونَ أَحْسَنَ الْخَالِقِينَ125
क्या तुम 'बअत' (देवता) को पुकारते हो और सर्वोत्तम सृष्टा। को छोड़ देते हो;
اللَّهَ رَبَّكُمْ وَرَبَّ آبَائِكُمُ الْأَوَّلِينَ126
अपने रब और अपने अगले बाप-दादा के रब, अल्लाह को!"
فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ127
किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ128
अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है
وَتَرَكْنَا عَلَيْهِ فِي الْآخِرِينَ129
और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा
سَلَامٌ عَلَىٰ إِلْ يَاسِينَ130
कि "सलाम है इलयास पर!"
إِنَّا كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ131
निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते है
إِنَّهُ مِنْ عِبَادِنَا الْمُؤْمِنِينَ132
निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था
وَإِنَّ لُوطًا لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ133
और निश्चय ही लूत भी रसूलों में से था
إِذْ نَجَّيْنَاهُ وَأَهْلَهُ أَجْمَعِينَ134
याद करो, जब हमने उसे और उसके सभी लोगों को बचा लिया,
إِلَّا عَجُوزًا فِي الْغَابِرِينَ135
सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रह जानेवालों में से थी
ثُمَّ دَمَّرْنَا الْآخَرِينَ136
फिर दूसरों को हमने तहस-नहस करके रख दिया
وَإِنَّكُمْ لَتَمُرُّونَ عَلَيْهِمْ مُصْبِحِينَ137
और निस्संदेह तुम उनपर (उनके क्षेत्र) से गुज़रते हो कभी प्रातः करते हुए
وَبِاللَّيْلِ ۗ أَفَلَا تَعْقِلُونَ138
और रात में भी। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?
وَإِنَّ يُونُسَ لَمِنَ الْمُرْسَلِينَ139
और निस्संदेह यूनुस भी रसूलो में से था
إِذْ أَبَقَ إِلَى الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ140
याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकला,
فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ الْمُدْحَضِينَ141
फिर पर्ची डालने में शामिल हुआ और उसमें मात खाई
فَالْتَقَمَهُ الْحُوتُ وَهُوَ مُلِيمٌ142
फिर उसे मछली ने निगल लिया और वह निन्दनीय दशा में ग्रस्त हो गया था।
فَلَوْلَا أَنَّهُ كَانَ مِنَ الْمُسَبِّحِينَ143
अब यदि वह तसबीह करनेवाला न होता
لَلَبِثَ فِي بَطْنِهِ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ144
तो उसी के भीतर उस दिन तक पड़ा रह जाता, जबकि लोग उठाए जाएँगे।
فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ سَقِيمٌ145
अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया।
وَأَنْبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِنْ يَقْطِينٍ146
हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया था
وَأَرْسَلْنَاهُ إِلَىٰ مِائَةِ أَلْفٍ أَوْ يَزِيدُونَ147
और हमने उसे एक लाख या उससे अधिक (लोगों) की ओर भेजा
فَآمَنُوا فَمَتَّعْنَاهُمْ إِلَىٰ حِينٍ148
फिर वे ईमान लाए तो हमने उन्हें एक अवधि कर सुख भोगने का अवसर दिया।
فَاسْتَفْتِهِمْ أَلِرَبِّكَ الْبَنَاتُ وَلَهُمُ الْبَنُونَ149
अब उनसे पूछो, "क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे?
أَمْ خَلَقْنَا الْمَلَائِكَةَ إِنَاثًا وَهُمْ شَاهِدُونَ150
क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?"
أَلَا إِنَّهُمْ مِنْ إِفْكِهِمْ لَيَقُولُونَ151
सुन लो, निश्चय ही वे अपनी मनघड़ंत कहते है
وَلَدَ اللَّهُ وَإِنَّهُمْ لَكَاذِبُونَ152
कि "अल्लाह के औलाद हुई है!" निश्चय ही वे झूठे है।
أَصْطَفَى الْبَنَاتِ عَلَى الْبَنِينَ153
क्या उसने बेटों की अपेक्षा बेटियाँ चुन ली है?
مَا لَكُمْ كَيْفَ تَحْكُمُونَ154
तुम्हें क्या हो गया है? तुम कैसा फ़ैसला करते हो?
أَفَلَا تَذَكَّرُونَ155
तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते?
أَمْ لَكُمْ سُلْطَانٌ مُبِينٌ156
क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण है?
فَأْتُوا بِكِتَابِكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ157
तो लाओ अपनी किताब, यदि तुम सच्चे हो
وَجَعَلُوا بَيْنَهُ وَبَيْنَ الْجِنَّةِ نَسَبًا ۚ وَلَقَدْ عَلِمَتِ الْجِنَّةُ إِنَّهُمْ لَمُحْضَرُونَ158
उन्होंने अल्लाह और जिन्नों के बीच नाता जोड़ रखा है, हालाँकि जिन्नों को भली-भाँति मालूम है कि वे अवश्य पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे-
سُبْحَانَ اللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ159
महान और उच्च है अल्लाह उससे, जो वे बयान करते है। -
إِلَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ160
अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिन्हें उसने चुन लिया
فَإِنَّكُمْ وَمَا تَعْبُدُونَ161
अतः तुम और जिनको तुम पूजते हो वे,
مَا أَنْتُمْ عَلَيْهِ بِفَاتِنِينَ162
तुम सब अल्लाह के विरुद्ध किसी को बहका नहीं सकते,
إِلَّا مَنْ هُوَ صَالِ الْجَحِيمِ163
सिवाय उसके जो जहन्नम की भड़कती आग में पड़ने ही वाला हो
وَمَا مِنَّا إِلَّا لَهُ مَقَامٌ مَعْلُومٌ164
और हमारी ओर से उसके लिए अनिवार्यतः एक ज्ञात और नियत स्थान है
وَإِنَّا لَنَحْنُ الصَّافُّونَ165
और हम ही पंक्तिबद्ध करते है।
وَإِنَّا لَنَحْنُ الْمُسَبِّحُونَ166
और हम ही महानता बयान करते है
وَإِنْ كَانُوا لَيَقُولُونَ167
वे तो कहा करते थे,
لَوْ أَنَّ عِنْدَنَا ذِكْرًا مِنَ الْأَوَّلِينَ168
"यदि हमारे पास पिछलों की कोई शिक्षा होती
لَكُنَّا عِبَادَ اللَّهِ الْمُخْلَصِينَ169
तो हम अल्लाह के चुने हुए बन्दे होते।"
فَكَفَرُوا بِهِ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ170
किन्तु उन्होंने इनकार कर दिया, तो अब जल्द ही वे जान लेंगे
وَلَقَدْ سَبَقَتْ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا الْمُرْسَلِينَ171
और हमारे अपने उन बन्दों के हक़ में, जो रसूल बनाकर भेजे गए, हमारी बात पहले ही निश्चित हो चुकी है
إِنَّهُمْ لَهُمُ الْمَنْصُورُونَ172
कि निश्चय ही उन्हीं की सहायता की जाएगी।
وَإِنَّ جُنْدَنَا لَهُمُ الْغَالِبُونَ173
और निश्चय ही हमारी सेना ही प्रभावी रहेगी
فَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ174
अतः एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो
وَأَبْصِرْهُمْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ175
और उन्हें देखते रहो। वे भी जल्द ही (अपना परिणाम) देख लेंगे
أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ176
क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?
فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمْ فَسَاءَ صَبَاحُ الْمُنْذَرِينَ177
तो जब वह उनके आँगन में उतरेगी तो बड़ी ही बुरी सुबह होगी उन लोगों की, जिन्हें सचेत किया जा चुका है!
وَتَوَلَّ عَنْهُمْ حَتَّىٰ حِينٍ178
एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो
وَأَبْصِرْ فَسَوْفَ يُبْصِرُونَ179
और देखते रहो, वे जल्द ही देख लेंगे
سُبْحَانَ رَبِّكَ رَبِّ الْعِزَّةِ عَمَّا يَصِفُونَ180
महान और उच्च है तुम्हारा रब, प्रताप का स्वामी, उन बातों से जो वे बताते है!
وَسَلَامٌ عَلَى الْمُرْسَلِينَ181
और सलाम है रसूलों पर;
وَالْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ182
औऱ सब प्रशंसा अल्लाह, सारे संसार के रब के लिए है
साद
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
ص ۚ وَالْقُرْآنِ ذِي الذِّكْرِ1
साद। क़सम है, याददिहानी-वाले क़ुरआन की (जिसमें कोई कमी नहीं कि धर्मविरोधी सत्य को न समझ सकें)
بَلِ الَّذِينَ كَفَرُوا فِي عِزَّةٍ وَشِقَاقٍ2
बल्कि जिन्होंने इनकार किया वे गर्व और विरोध में पड़े हुए है
كَمْ أَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِنْ قَرْنٍ فَنَادَوْا وَلَاتَ حِينَ مَنَاصٍ3
उनसे पहले हमने कितनी ही पीढ़ियों को विनष्ट किया, तो वे लगे पुकारने। किन्तु वह समय हटने-बचने का न था
وَعَجِبُوا أَنْ جَاءَهُمْ مُنْذِرٌ مِنْهُمْ ۖ وَقَالَ الْكَافِرُونَ هَـٰذَا سَاحِرٌ كَذَّابٌ4
उन्होंने आश्चर्य किया इसपर कि उनके पास उन्हीं में से एक सचेतकर्ता आया और इनकार करनेवाले कहने लगे, "यह जादूगर है बड़ा झूठा
أَجَعَلَ الْآلِهَةَ إِلَـٰهًا وَاحِدًا ۖ إِنَّ هَـٰذَا لَشَيْءٌ عُجَابٌ5
क्या उसने सारे उपास्यों को अकेला एक उपास्य ठहरा दिया? निस्संदेह यह तो बहुत अचम्भेवाली चीज़ है!"
وَانْطَلَقَ الْمَلَأُ مِنْهُمْ أَنِ امْشُوا وَاصْبِرُوا عَلَىٰ آلِهَتِكُمْ ۖ إِنَّ هَـٰذَا لَشَيْءٌ يُرَادُ6
और उनके सरदार (यह कहते हुए) चल खड़े हुए कि "चलते रहो और अपने उपास्यों पर जमें रहो। निस्संदेह यह वांछिच चीज़ है
مَا سَمِعْنَا بِهَـٰذَا فِي الْمِلَّةِ الْآخِرَةِ إِنْ هَـٰذَا إِلَّا اخْتِلَاقٌ7
यह बात तो हमने पिछले धर्म में सुनी ही नहीं। यह तो बस मनघड़त है
أَأُنْزِلَ عَلَيْهِ الذِّكْرُ مِنْ بَيْنِنَا ۚ بَلْ هُمْ فِي شَكٍّ مِنْ ذِكْرِي ۖ بَلْ لَمَّا يَذُوقُوا عَذَابِ8
क्या हम सबमें से (चुनकर) इसी पर अनुस्मृति अवतरित हुई है?" नहीं, बल्कि वे मेरी अनुस्मृति के विषय में संदेह में है, बल्कि उन्होंने अभी तक मेरी यातना का मज़ा चखा ही नहीं है
أَمْ عِنْدَهُمْ خَزَائِنُ رَحْمَةِ رَبِّكَ الْعَزِيزِ الْوَهَّابِ9
या, तेरे प्रभुत्वशाली, बड़े दाता रब की दयालुता के ख़ज़ाने उनके पास है?
أَمْ لَهُمْ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ فَلْيَرْتَقُوا فِي الْأَسْبَابِ10
या, आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है, उन सबकी बादशाही उन्हीं की है? फिर तो चाहिए कि वे रस्सियों द्वारा ऊपर चढ़ जाए
جُنْدٌ مَا هُنَالِكَ مَهْزُومٌ مِنَ الْأَحْزَابِ11
वह एक साधारण सेना है (विनष्ट होनेवाले) दलों में से, वहाँ मात खाना जिसकी नियति है
كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍ وَعَادٌ وَفِرْعَوْنُ ذُو الْأَوْتَادِ12
उनसे पहले नूह की क़ौम और आद और मेखोंवाले फ़िरऔन ने झुठलाया
وَثَمُودُ وَقَوْمُ لُوطٍ وَأَصْحَابُ الْأَيْكَةِ ۚ أُولَـٰئِكَ الْأَحْزَابُ13
और समूद और लूत की क़ौम और 'ऐकावाले' भी, ये है वे दल
إِنْ كُلٌّ إِلَّا كَذَّبَ الرُّسُلَ فَحَقَّ عِقَابِ14
उनमें से प्रत्येक ने रसूलों को झुठलाया, तो मेरी ओर से दंड अवश्यम्भावी होकर रहा
وَمَا يَنْظُرُ هَـٰؤُلَاءِ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً مَا لَهَا مِنْ فَوَاقٍ15
इन्हें बस एक चीख की प्रतीक्षा है जिसमें तनिक भी अवकाश न होगा
وَقَالُوا رَبَّنَا عَجِّلْ لَنَا قِطَّنَا قَبْلَ يَوْمِ الْحِسَابِ16
वे कहते है, "ऐ हमारे रब! हिसाब के दिन से पहले ही शीघ्र हमारा हिस्सा दे दे।"
اصْبِرْ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَاذْكُرْ عَبْدَنَا دَاوُودَ ذَا الْأَيْدِ ۖ إِنَّهُ أَوَّابٌ17
वे जो कुछ कहते है उसपर धैर्य से काम लो और ज़ोर व शक्तिवाले हमारे बन्दे दाऊद को याद करो। निश्चय ही वह (अल्लाह की ओर) बहुत रुजू करनेवाला था
إِنَّا سَخَّرْنَا الْجِبَالَ مَعَهُ يُسَبِّحْنَ بِالْعَشِيِّ وَالْإِشْرَاقِ18
हमने पर्वतों को उसके साथ वशीभूत कर दिया था कि प्रातःकाल और सन्ध्य समय तसबीह करते रहे।
وَالطَّيْرَ مَحْشُورَةً ۖ كُلٌّ لَهُ أَوَّابٌ19
और पक्षियों को भी, जो एकत्र हो जाते थे। प्रत्येक उसके आगे रुजू रहता
وَشَدَدْنَا مُلْكَهُ وَآتَيْنَاهُ الْحِكْمَةَ وَفَصْلَ الْخِطَابِ20
हमने उसका राज्य सुदृढ़ कर दिया था और उसे तत्वदर्शिता प्रदान की थी और निर्णायक बात कहने की क्षमता प्रदान की थी
وَهَلْ أَتَاكَ نَبَأُ الْخَصْمِ إِذْ تَسَوَّرُوا الْمِحْرَابَ21
और क्या तुम्हें उन विवादियों की ख़बर पहुँची है? जब वे दीवार पर चढ़कर मेहराब (एकान्त कक्ष) मे आ पहुँचे
إِذْ دَخَلُوا عَلَىٰ دَاوُودَ فَفَزِعَ مِنْهُمْ ۖ قَالُوا لَا تَخَفْ ۖ خَصْمَانِ بَغَىٰ بَعْضُنَا عَلَىٰ بَعْضٍ فَاحْكُمْ بَيْنَنَا بِالْحَقِّ وَلَا تُشْطِطْ وَاهْدِنَا إِلَىٰ سَوَاءِ الصِّرَاطِ22
जब वे दाऊद के पास पहुँचे तो वह उनसे सहम गया। वे बोले, "डरिए नहीं, हम दो विवादी हैं। हममें से एक ने दूसरे पर ज़्यादती की है; तो आप हमारे बीच ठीक-ठीक फ़ैसला कर दीजिए। और बात को दूर न डालिए और हमें ठीक मार्ग बता दीजिए
إِنَّ هَـٰذَا أَخِي لَهُ تِسْعٌ وَتِسْعُونَ نَعْجَةً وَلِيَ نَعْجَةٌ وَاحِدَةٌ فَقَالَ أَكْفِلْنِيهَا وَعَزَّنِي فِي الْخِطَابِ23
यह मेरा भाई है। इसके पास निन्यानबे दुंबियाँ है और मेरे पास एक दुंबी है। अब इसका कहना है कि इसे भी मुझे सौप दे और बातचीत में इसने मुझे दबा लिया।"
قَالَ لَقَدْ ظَلَمَكَ بِسُؤَالِ نَعْجَتِكَ إِلَىٰ نِعَاجِهِ ۖ وَإِنَّ كَثِيرًا مِنَ الْخُلَطَاءِ لَيَبْغِي بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَقَلِيلٌ مَا هُمْ ۗ وَظَنَّ دَاوُودُ أَنَّمَا فَتَنَّاهُ فَاسْتَغْفَرَ رَبَّهُ وَخَرَّ رَاكِعًا وَأَنَابَ ۩24
उसने कहा, "इसने अपनी दुंबियों के साथ तेरी दुंबी को मिला लेने की माँग करके निश्चय ही तुझपर ज़ुल्म किया है। और निस्संदेह बहुत-से साथ मिलकर रहनेवाले एक-दूसरे पर ज़्यादती करते है, सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। किन्तु ऐसे लोग थोड़े ही है।" अब दाऊद समझ गया कि यह तो हमने उसे परीक्षा में डाला है। अतः उसने अपने रब से क्षमा-याचना की और झुककर (सीधे सजदे में) गिर पड़ा और रुजू हुआ
فَغَفَرْنَا لَهُ ذَٰلِكَ ۖ وَإِنَّ لَهُ عِنْدَنَا لَزُلْفَىٰ وَحُسْنَ مَآبٍ25
तो हमने उसका वह क़सूर माफ़ कर दिया। और निश्चय ही हमारे यहाँ उसके लिए अनिवार्यतः सामीप्य और उत्तम ठिकाना है
يَا دَاوُودُ إِنَّا جَعَلْنَاكَ خَلِيفَةً فِي الْأَرْضِ فَاحْكُمْ بَيْنَ النَّاسِ بِالْحَقِّ وَلَا تَتَّبِعِ الْهَوَىٰ فَيُضِلَّكَ عَنْ سَبِيلِ اللَّهِ ۚ إِنَّ الَّذِينَ يَضِلُّونَ عَنْ سَبِيلِ اللَّهِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ بِمَا نَسُوا يَوْمَ الْحِسَابِ26
"ऐ दाऊद! हमने धरती में तुझे ख़लीफ़ा (उत्तराधिकारी) बनाया है। अतः तू लोगों के बीच हक़ के साथ फ़ैसला करना और अपनी इच्छा का अनुपालन न करना कि वह तुझे अल्लाह के मार्ग से भटका दे। जो लोग अल्लाह के मार्ग से भटकते है, निश्चय ही उनके लिए कठोर यातना है, क्योंकि वे हिसाब के दिन को भूले रहे।-
وَمَا خَلَقْنَا السَّمَاءَ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا بَاطِلًا ۚ ذَٰلِكَ ظَنُّ الَّذِينَ كَفَرُوا ۚ فَوَيْلٌ لِلَّذِينَ كَفَرُوا مِنَ النَّارِ27
हमने आकाश और धरती को और जो कुछ उनके बीच है, व्यर्थ नहीं पैदा किया। यह तो उन लोगों का गुमान है जिन्होंने इनकार किया। अतः आग में झोंके जाने के कारण इनकार करनेवालों की बड़ी दुर्गति है
أَمْ نَجْعَلُ الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ كَالْمُفْسِدِينَ فِي الْأَرْضِ أَمْ نَجْعَلُ الْمُتَّقِينَ كَالْفُجَّارِ28
(क्या हम उनको जो समझते है कि जगत की संरचना व्यर्थ नहीं है, उनके समान कर देंगे जो जगत को निरर्थक मानते है।) या हम उन लोगों को जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनके समान कर देंगे जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है; या डर रखनेवालों को हम दुराचारियों जैसा कर देंगे?
كِتَابٌ أَنْزَلْنَاهُ إِلَيْكَ مُبَارَكٌ لِيَدَّبَّرُوا آيَاتِهِ وَلِيَتَذَكَّرَ أُولُو الْأَلْبَابِ29
यह एक इसकी आयतों पर सोच-विचार करें और ताकि बुद्धि और समझवाले इससे शिक्षा ग्रहण करें।-
وَوَهَبْنَا لِدَاوُودَ سُلَيْمَانَ ۚ نِعْمَ الْعَبْدُ ۖ إِنَّهُ أَوَّابٌ30
और हमने दाऊद को सुलैमान प्रदान किया। वह कितना अच्छा बन्दा था! निश्चय ही वह बहुत ही रुजू रहनेवाला था।
إِذْ عُرِضَ عَلَيْهِ بِالْعَشِيِّ الصَّافِنَاتُ الْجِيَادُ31
याद करो, जबकि सन्ध्या समय उसके सामने सधे हुए द्रुतगामी घोड़े हाज़िर किए गए
فَقَالَ إِنِّي أَحْبَبْتُ حُبَّ الْخَيْرِ عَنْ ذِكْرِ رَبِّي حَتَّىٰ تَوَارَتْ بِالْحِجَابِ32
तो उसने कहा, "मैंने इनके प्रति प्रेम अपने रब की याद के कारण अपनाया है।" यहाँ तक कि वे (घोड़े) ओट में छिप गए
رُدُّوهَا عَلَيَّ ۖ فَطَفِقَ مَسْحًا بِالسُّوقِ وَالْأَعْنَاقِ33
"उन्हें मेरे पास वापस लाओ!" फिर वह उनकी पिंडलियों और गरदनों पर हाथ फेरने लगा
وَلَقَدْ فَتَنَّا سُلَيْمَانَ وَأَلْقَيْنَا عَلَىٰ كُرْسِيِّهِ جَسَدًا ثُمَّ أَنَابَ34
निश्चय ही हमने सुलैमान को भी परीक्षा में डाला। और हमने उसके तख़्त पर एक धड़ डाल दिया। फिर वह रुजू हुआ
قَالَ رَبِّ اغْفِرْ لِي وَهَبْ لِي مُلْكًا لَا يَنْبَغِي لِأَحَدٍ مِنْ بَعْدِي ۖ إِنَّكَ أَنْتَ الْوَهَّابُ35
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे क्षमा कर दे और मुझे वह राज्य प्रदान कर, जो मेरे पश्चात किसी के लिए शोभनीय न हो। निश्चय ही तू बड़ा दाता है।"
فَسَخَّرْنَا لَهُ الرِّيحَ تَجْرِي بِأَمْرِهِ رُخَاءً حَيْثُ أَصَابَ36
तब हमने वायु को उसके लिए वशीभूत कर दिया, जो उसके आदेश से, जहाँ वह पहुँचना चाहता, सरलतापूर्वक चलती थी
وَالشَّيَاطِينَ كُلَّ بَنَّاءٍ وَغَوَّاصٍ37
और शैतानों को भी (वशीभुत कर दिया), प्रत्येक निर्माता और ग़ोताख़ोर को
وَآخَرِينَ مُقَرَّنِينَ فِي الْأَصْفَادِ38
और दूसरों को भी जो ज़जीरों में जकड़े हुए रहत
هَـٰذَا عَطَاؤُنَا فَامْنُنْ أَوْ أَمْسِكْ بِغَيْرِ حِسَابٍ39
"यह हमारी बेहिसाब देन है। अब एहसान करो या रोको।"
وَإِنَّ لَهُ عِنْدَنَا لَزُلْفَىٰ وَحُسْنَ مَآبٍ40
और निश्चय ही हमारे यहाँ उसके लिए अनिवार्यतः समीप्य और उत्तम ठिकाना है
وَاذْكُرْ عَبْدَنَا أَيُّوبَ إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُ أَنِّي مَسَّنِيَ الشَّيْطَانُ بِنُصْبٍ وَعَذَابٍ41
हमारे बन्दे अय्यूब को भी याद करो, जब उसने अपने रब को पुकारा कि "शैतान ने मुझे दुख और पीड़ा पहुँचा रखी है।"
ارْكُضْ بِرِجْلِكَ ۖ هَـٰذَا مُغْتَسَلٌ بَارِدٌ وَشَرَابٌ42
"अपना पाँव (धरती पर) मार, यह है ठंडा (पानी) नहाने को और पीने को।"
وَوَهَبْنَا لَهُ أَهْلَهُ وَمِثْلَهُمْ مَعَهُمْ رَحْمَةً مِنَّا وَذِكْرَىٰ لِأُولِي الْأَلْبَابِ43
और हमने उसे उसके परिजन दिए और उनके साथ वैसे ही और भी; अपनी ओर से दयालुता के रूप में और बुद्धि और समझ रखनेवालों के लिए शिक्षा के रूप में।
وَخُذْ بِيَدِكَ ضِغْثًا فَاضْرِبْ بِهِ وَلَا تَحْنَثْ ۗ إِنَّا وَجَدْنَاهُ صَابِرًا ۚ نِعْمَ الْعَبْدُ ۖ إِنَّهُ أَوَّابٌ44
"और अपने हाथ में तिनकों का एक मुट्ठा ले और उससे मार और अपनी क़सम न तोड़।" निश्चय ही हमने उसे धैर्यवान पाया, क्या ही अच्छा बन्दा! निस्संदेह वह बड़ा ही रुजू रहनेवाला था
وَاذْكُرْ عِبَادَنَا إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ أُولِي الْأَيْدِي وَالْأَبْصَارِ45
हमारे बन्दों, इबराहीम और इसहाक़ और याक़ूब को भी याद करो, जो हाथों (शक्ति) और निगाहोंवाले (ज्ञान-चक्षुवाले) थे
إِنَّا أَخْلَصْنَاهُمْ بِخَالِصَةٍ ذِكْرَى الدَّارِ46
निस्संदेह हमने उन्हें एक विशिष्ट बात के लिए चुन लिया था और वह वास्तविक घर (आख़िरत) की याद थी
وَإِنَّهُمْ عِنْدَنَا لَمِنَ الْمُصْطَفَيْنَ الْأَخْيَارِ47
और निश्चय ही वे हमारे यहाँ चुने हुए नेक लोगों में से है
وَاذْكُرْ إِسْمَاعِيلَ وَالْيَسَعَ وَذَا الْكِفْلِ ۖ وَكُلٌّ مِنَ الْأَخْيَارِ48
इसमाईल और अल-यसअ और ज़ुलकिफ़्ल को भी याद करो। इनमें से प्रत्येक ही अच्छा रहा है
هَـٰذَا ذِكْرٌ ۚ وَإِنَّ لِلْمُتَّقِينَ لَحُسْنَ مَآبٍ49
यह एक अनुस्मृति है। और निश्चय ही डर रखनेवालों के लिए अच्छा ठिकाना है
جَنَّاتِ عَدْنٍ مُفَتَّحَةً لَهُمُ الْأَبْوَابُ50
सदैव रहने के बाग़ है, जिनके द्वार उनके लिए खुले होंगे
مُتَّكِئِينَ فِيهَا يَدْعُونَ فِيهَا بِفَاكِهَةٍ كَثِيرَةٍ وَشَرَابٍ51
उनमें वे तकिया लगाए हुए होंगे। वहाँ वे बहुत-से मेवे और पेय मँगवाते होंगे
وَعِنْدَهُمْ قَاصِرَاتُ الطَّرْفِ أَتْرَابٌ52
और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली स्त्रियाँ होंगी, जो समान अवस्था की होंगी
هَـٰذَا مَا تُوعَدُونَ لِيَوْمِ الْحِسَابِ53
यह है वह चीज़, जिसका हिसाब के दिन के लिए तुमसे वादा किया जाता है
إِنَّ هَـٰذَا لَرِزْقُنَا مَا لَهُ مِنْ نَفَادٍ54
यह हमारा दिया है, जो कभी समाप्त न होगा
هَـٰذَا ۚ وَإِنَّ لِلطَّاغِينَ لَشَرَّ مَآبٍ55
एक और यह है, किन्तु सरकशों के लिए बहुत बुरा ठिकाना है;
جَهَنَّمَ يَصْلَوْنَهَا فَبِئْسَ الْمِهَادُ56
जहन्नम, जिसमें वे प्रवेश करेंगे। तो वह बहुत ही बुरा विश्राम-स्थल है!
هَـٰذَا فَلْيَذُوقُوهُ حَمِيمٌ وَغَسَّاقٌ57
यह है, अब उन्हें इसे चखना है - खौलता हुआ पानी और रक्तयुक्त पीप
وَآخَرُ مِنْ شَكْلِهِ أَزْوَاجٌ58
और इसी प्रकार की दूसरी और भी चीज़ें
هَـٰذَا فَوْجٌ مُقْتَحِمٌ مَعَكُمْ ۖ لَا مَرْحَبًا بِهِمْ ۚ إِنَّهُمْ صَالُو النَّارِ59
"यह एक भीड़ है जो तुम्हारे साथ घुसी चली आ रही है। कोई आवभगत उनके लिए नहीं। वे तो आग में पड़नेवाले है।"
قَالُوا بَلْ أَنْتُمْ لَا مَرْحَبًا بِكُمْ ۖ أَنْتُمْ قَدَّمْتُمُوهُ لَنَا ۖ فَبِئْسَ الْقَرَارُ60
वे कहेंगे, "नहीं, तुम नहीं। तुम्हारे लिए कोई आवभगत नहीं। तुम्ही यह हमारे आगे लाए हो। तो बहुत ही बुरी है यह ठहरने की जगह!"
قَالُوا رَبَّنَا مَنْ قَدَّمَ لَنَا هَـٰذَا فَزِدْهُ عَذَابًا ضِعْفًا فِي النَّارِ61
वे कहेंगे, "ऐ हमारे रब! जो हमारे आगे यह (मुसीबत) लाया उसे आग में दोहरी यातना दे!"
وَقَالُوا مَا لَنَا لَا نَرَىٰ رِجَالًا كُنَّا نَعُدُّهُمْ مِنَ الْأَشْرَارِ62
और वे कहेंगे, "क्या बात है कि हम उन लोगों को नहीं देखते जिनकी गणना हम बुरों में करते थे?
أَتَّخَذْنَاهُمْ سِخْرِيًّا أَمْ زَاغَتْ عَنْهُمُ الْأَبْصَارُ63
क्या हमने यूँ ही उनका मज़ाक बनाया था, यह उनसे निगाहें चूक गई हैं?"
إِنَّ ذَٰلِكَ لَحَقٌّ تَخَاصُمُ أَهْلِ النَّارِ64
निस्संदेह आग में पड़नेवालों का यह आपस का झगड़ा तो अवश्य होना है
قُلْ إِنَّمَا أَنَا مُنْذِرٌ ۖ وَمَا مِنْ إِلَـٰهٍ إِلَّا اللَّهُ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ65
कह दो, "मैं तो बस एक सचेत करनेवाला हूँ। कोई पूज्य-प्रभु नहीं सिवाय अल्लाह के, जो अकेला है, सबपर क़ाबू रखनेवाला;
رَبُّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا الْعَزِيزُ الْغَفَّارُ66
आकाशों और धरती का रब है, और जो कुछ इन दोनों के बीच है उसका भी, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील।"
قُلْ هُوَ نَبَأٌ عَظِيمٌ67
कह दो, "वह एक बड़ी ख़बर है, ‘
أَنْتُمْ عَنْهُ مُعْرِضُونَ68
जिसे तुम ध्यान में नहीं ला रहे हो
مَا كَانَ لِيَ مِنْ عِلْمٍ بِالْمَلَإِ الْأَعْلَىٰ إِذْ يَخْتَصِمُونَ69
मुझे 'मलए आला' (ऊपरी लोक के फ़रिश्तों) का कोई ज्ञान नहीं था, जब वे वाद-विवाद कर रहे थे
إِنْ يُوحَىٰ إِلَيَّ إِلَّا أَنَّمَا أَنَا نَذِيرٌ مُبِينٌ70
मेरी ओर तो बस इसलिए प्रकाशना की जाती है कि मैं खुल्लम-खुल्ला सचेत करनेवाला हूँ।"
إِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي خَالِقٌ بَشَرًا مِنْ طِينٍ71
याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा कि "मैं मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करनेवाला हूँ
فَإِذَا سَوَّيْتُهُ وَنَفَخْتُ فِيهِ مِنْ رُوحِي فَقَعُوا لَهُ سَاجِدِينَ72
तो जब मैं उसको ठीक-ठाक कर दूँ औऱ उसमें अपनी रूह फूँक दूँ, तो तुम उसके आगे सजदे में गिर जाना।"
فَسَجَدَ الْمَلَائِكَةُ كُلُّهُمْ أَجْمَعُونَ73
तो सभी फ़रिश्तों ने सजदा किया, सिवाय इबलीस के।
إِلَّا إِبْلِيسَ اسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنَ الْكَافِرِينَ74
उसने घमंड किया और इनकार करनेवालों में से हो गया
قَالَ يَا إِبْلِيسُ مَا مَنَعَكَ أَنْ تَسْجُدَ لِمَا خَلَقْتُ بِيَدَيَّ ۖ أَسْتَكْبَرْتَ أَمْ كُنْتَ مِنَ الْعَالِينَ75
कहा, "ऐ इबलीस! तूझे किस चीज़ ने उसको सजदा करने से रोका जिसे मैंने अपने दोनों हाथों से बनाया? क्या तूने घमंड किया, या तू कोई ऊँची हस्ती है?"
قَالَ أَنَا خَيْرٌ مِنْهُ ۖ خَلَقْتَنِي مِنْ نَارٍ وَخَلَقْتَهُ مِنْ طِينٍ76
उसने कहा, "मैं उससे उत्तम हूँ। तूने मुझे आग से पैदा किया और उसे मिट्टी से पैदा किया।"
قَالَ فَاخْرُجْ مِنْهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٌ77
कहा, "अच्छा, निकल जा यहाँ से, क्योंकि तू धुत्कारा हुआ है
وَإِنَّ عَلَيْكَ لَعْنَتِي إِلَىٰ يَوْمِ الدِّينِ78
और निश्चय ही बदला दिए जाने के दिन तक तुझपर मेरी लानत है।"
قَالَ رَبِّ فَأَنْظِرْنِي إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ79
उसने कहा, "ऐ मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहल्लत दे, जबकि लोग (जीवित करके) उठाए जाएँगे।"
قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ الْمُنْظَرِينَ80
कहा, "अच्छा, तुझे निश्चित एवं
إِلَىٰ يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُومِ81
ज्ञात समय तक मुहलत है।"
قَالَ فَبِعِزَّتِكَ لَأُغْوِيَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ82
उसने कहा, "तेरे प्रताप की सौगन्ध! मैं अवश्य उन सबको बहकाकर रहूँगा,
إِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ الْمُخْلَصِينَ83
सिवाय उनमें से तेरे उन बन्दों के, जो चुने हुए है।"
قَالَ فَالْحَقُّ وَالْحَقَّ أَقُولُ84
कहा, "तो यह सत्य है और मैं सत्य ही कहता हूँ
لَأَمْلَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنْكَ وَمِمَّنْ تَبِعَكَ مِنْهُمْ أَجْمَعِينَ85
कि मैं जहन्नम को तुझसे और उन सबसे भर दूँगा, जिन्होंने उनमें से तेरा अनुसरण किया होगा।"
قُلْ مَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ وَمَا أَنَا مِنَ الْمُتَكَلِّفِينَ86
कह दो, "मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता और न मैं बनानट करनेवालों में से हूँ।"
إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌ لِلْعَالَمِينَ87
वह तो एक अनुस्मृति है सारे संसारवालों के लिए
وَلَتَعْلَمُنَّ نَبَأَهُ بَعْدَ حِينٍ88
और थोड़ी ही अवधि के पश्चात उसकी दी हुई ख़बर तुम्हे मालूम हो जाएगी
अज़-ज़ुमर
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
تَنْزِيلُ الْكِتَابِ مِنَ اللَّهِ الْعَزِيزِ الْحَكِيمِ1
इस किताब का अवतरण अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी की ओर से है
إِنَّا أَنْزَلْنَا إِلَيْكَ الْكِتَابَ بِالْحَقِّ فَاعْبُدِ اللَّهَ مُخْلِصًا لَهُ الدِّينَ2
निस्संदेह हमने यह किताब तुम्हारी ओर सत्य के साथ अवतरित की है
أَلَا لِلَّهِ الدِّينُ الْخَالِصُ ۚ وَالَّذِينَ اتَّخَذُوا مِنْ دُونِهِ أَوْلِيَاءَ مَا نَعْبُدُهُمْ إِلَّا لِيُقَرِّبُونَا إِلَى اللَّهِ زُلْفَىٰ إِنَّ اللَّهَ يَحْكُمُ بَيْنَهُمْ فِي مَا هُمْ فِيهِ يَخْتَلِفُونَ ۗ إِنَّ اللَّهَ لَا يَهْدِي مَنْ هُوَ كَاذِبٌ كَفَّارٌ3
जान रखो कि विशुद्ध धर्म अल्लाह ही के लिए है। रहे वे लोग जिन्होंने उससे हटकर दूसरे समर्थक औऱ संरक्षक बना रखे है (कहते है,) "हम तो उनकी बन्दगी इसी लिए करते है कि वे हमें अल्लाह का सामीप्य प्राप्त करा दें।" निश्चय ही अल्लाह उनके बीच उस बात का फ़ैसला कर देगा जिसमें वे विभेद कर रहे है। अल्लाह उसे मार्ग नहीं दिखाता जो झूठा और बड़ा अकृतज्ञ हो
لَوْ أَرَادَ اللَّهُ أَنْ يَتَّخِذَ وَلَدًا لَاصْطَفَىٰ مِمَّا يَخْلُقُ مَا يَشَاءُ ۚ سُبْحَانَهُ ۖ هُوَ اللَّهُ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ4
यदि अल्लाह अपनी कोई सन्तान बनाना चाहता तो वह उसमें से, जिन्हें पैदा कर रहा है, चुन लेता। महान और उच्च है वह! वह अल्लाह है अकेला, सब पर क़ाबू रखनेवाला
خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ بِالْحَقِّ ۖ يُكَوِّرُ اللَّيْلَ عَلَى النَّهَارِ وَيُكَوِّرُ النَّهَارَ عَلَى اللَّيْلِ ۖ وَسَخَّرَ الشَّمْسَ وَالْقَمَرَ ۖ كُلٌّ يَجْرِي لِأَجَلٍ مُسَمًّى ۗ أَلَا هُوَ الْعَزِيزُ الْغَفَّارُ5
उसने आकाशों और धरती को सत्य के साथ पैदा किया। रात को दिन पर लपेटता है और दिन को रात पर लपेटता है। और उसने सूर्य और चन्द्रमा को वशीभुत कर रखा है। प्रत्येक एक नियत समय को पूरा करने के लिए चल रहा है। जान रखो, वही प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील है
خَلَقَكُمْ مِنْ نَفْسٍ وَاحِدَةٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَأَنْزَلَ لَكُمْ مِنَ الْأَنْعَامِ ثَمَانِيَةَ أَزْوَاجٍ ۚ يَخْلُقُكُمْ فِي بُطُونِ أُمَّهَاتِكُمْ خَلْقًا مِنْ بَعْدِ خَلْقٍ فِي ظُلُمَاتٍ ثَلَاثٍ ۚ ذَٰلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُمْ لَهُ الْمُلْكُ ۖ لَا إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ فَأَنَّىٰ تُصْرَفُونَ6
उसने तुम्हें अकेली जान पैदा किया; फिर उसी से उसका जोड़ा बनाया औऱ तुम्हारे लिए चौपायों में से आठ नर-मादा उतारे। वह तुम्हारी माँओं के पेटों में तीन अँधेरों के भीतर तुम्हें एक सृजनरूप के पश्चात अन्य एक सृजनरूप देता चला जाता है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है। बादशाही उसी की है, उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। फिर तुम कहाँ फिरे जाते हो?
إِنْ تَكْفُرُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَنِيٌّ عَنْكُمْ ۖ وَلَا يَرْضَىٰ لِعِبَادِهِ الْكُفْرَ ۖ وَإِنْ تَشْكُرُوا يَرْضَهُ لَكُمْ ۗ وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِزْرَ أُخْرَىٰ ۗ ثُمَّ إِلَىٰ رَبِّكُمْ مَرْجِعُكُمْ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ ۚ إِنَّهُ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ7
यदि तुम इनकार करोगे तो अल्लाह तुमसे निस्पृह है। यद्यपि वह अपने बन्दों के लिए इनकार को पसन्द नहीं करता, किन्तु यदि तुम कृतज्ञता दिखाओगे, तो उसे वह तुम्हारे लिए पसन्द करता है। कोई बोझ न उठाएगा। फिर तुम्हारी वापसी अपने रब ही की ओर है। और वह तुम्हे बता देगा, जो कुछ तुम करते रहे होगे। निश्चय ही वह सीनों तक की बातें जानता है
وَإِذَا مَسَّ الْإِنْسَانَ ضُرٌّ دَعَا رَبَّهُ مُنِيبًا إِلَيْهِ ثُمَّ إِذَا خَوَّلَهُ نِعْمَةً مِنْهُ نَسِيَ مَا كَانَ يَدْعُو إِلَيْهِ مِنْ قَبْلُ وَجَعَلَ لِلَّهِ أَنْدَادًا لِيُضِلَّ عَنْ سَبِيلِهِ ۚ قُلْ تَمَتَّعْ بِكُفْرِكَ قَلِيلًا ۖ إِنَّكَ مِنْ أَصْحَابِ النَّارِ8
जब मनुष्य को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वह अपने रब को उसी की ओर रुजू होकर पुकारने लगता है, फिर जब वह उसपर अपनी अनुकम्पा करता है, तो वह उस चीज़ को भूल जाता है जिसके लिए पहले पुकार रहा था और (दूसरो को) अल्लाह के समकक्ष ठहराने लगता है, ताकि इसके परिणामस्वरूप वह उसकी राह से भटका दे। कह दो, "अपने इनकार का थोड़ा मज़ा ले लो। निस्संदेह तुम आगवालों में से हो।"
أَمَّنْ هُوَ قَانِتٌ آنَاءَ اللَّيْلِ سَاجِدًا وَقَائِمًا يَحْذَرُ الْآخِرَةَ وَيَرْجُو رَحْمَةَ رَبِّهِ ۗ قُلْ هَلْ يَسْتَوِي الَّذِينَ يَعْلَمُونَ وَالَّذِينَ لَا يَعْلَمُونَ ۗ إِنَّمَا يَتَذَكَّرُ أُولُو الْأَلْبَابِ9
(क्या उक्त व्यक्ति अच्छा है) या वह व्यक्ति जो रात की घड़ियों में सजदा करता और खड़ा रहता है, आख़िरत से डरता है और अपने रब की दयालुता की आशा रखता हुआ विनयशीलता के साथ बन्दगी में लगा रहता है? कहो, "क्या वे लोग जो जानते है और वे लोग जो नहीं जानते दोनों समान होंगे? शिक्षा तो बुद्धि और समझवाले ही ग्रहण करते है।"
قُلْ يَا عِبَادِ الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا رَبَّكُمْ ۚ لِلَّذِينَ أَحْسَنُوا فِي هَـٰذِهِ الدُّنْيَا حَسَنَةٌ ۗ وَأَرْضُ اللَّهِ وَاسِعَةٌ ۗ إِنَّمَا يُوَفَّى الصَّابِرُونَ أَجْرَهُمْ بِغَيْرِ حِسَابٍ10
कह दो कि "ऐ मेरे बन्दो, जो ईमान लाए हो! अपने रब का डर रखो। जिन लोगों ने अच्छा कर दिखाया उनके लिए इस संसार में अच्छाई है, और अल्लाह की धरती विस्तृत है। जमे रहनेवालों को तो उनका बदला बेहिसाब मिलकर रहेगा।"
قُلْ إِنِّي أُمِرْتُ أَنْ أَعْبُدَ اللَّهَ مُخْلِصًا لَهُ الدِّينَ11
कह दो, "मुझे तो आदेश दिया गया है कि मैं अल्लाह की बन्दगी करूँ, धर्म (भक्तिभाव एवं निष्ठान) को उसी के लिए विशुद्ध करते हुए
وَأُمِرْتُ لِأَنْ أَكُونَ أَوَّلَ الْمُسْلِمِينَ12
और मुझे आदेश दिया गया है कि सबसे बढ़कर मैं स्वयं आज्ञाकारी बनूँ।"
قُلْ إِنِّي أَخَافُ إِنْ عَصَيْتُ رَبِّي عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ13
कहो, "यदि मैं अपने रब की अवज्ञा करूँ तो मुझे एक बड़े दिन की यातना का भय है।"
قُلِ اللَّهَ أَعْبُدُ مُخْلِصًا لَهُ دِينِي14
कहो, "मैं तो अल्लाह ही की बन्दगी करता हूँ, अपने धर्म को उसी के लिए विशुद्ध करते हुए
فَاعْبُدُوا مَا شِئْتُمْ مِنْ دُونِهِ ۗ قُلْ إِنَّ الْخَاسِرِينَ الَّذِينَ خَسِرُوا أَنْفُسَهُمْ وَأَهْلِيهِمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ أَلَا ذَٰلِكَ هُوَ الْخُسْرَانُ الْمُبِينُ15
अब तुम उससे हटकर जिसकी चाहो बन्दगी करो।" कह दो, "वास्तव में घाटे में पड़नेवाले तो वही है, जिन्होंने अपने आपको और अपने लोगों को क़ियामत के दिन घाटे में डाल दिया। जान रखो, यही खुला घाटा है
لَهُمْ مِنْ فَوْقِهِمْ ظُلَلٌ مِنَ النَّارِ وَمِنْ تَحْتِهِمْ ظُلَلٌ ۚ ذَٰلِكَ يُخَوِّفُ اللَّهُ بِهِ عِبَادَهُ ۚ يَا عِبَادِ فَاتَّقُونِ16
उनके लिए उनके ऊपर से भी आग की छतरियाँ होंगी और उनके नीचे से भी छतरियाँ होंगी। यही वह चीज़ है, जिससे अल्लाह अपने बन्दों को डराता है, "ऐ मेरे बन्दो! अतः तुम मेरा डर रखो।"
وَالَّذِينَ اجْتَنَبُوا الطَّاغُوتَ أَنْ يَعْبُدُوهَا وَأَنَابُوا إِلَى اللَّهِ لَهُمُ الْبُشْرَىٰ ۚ فَبَشِّرْ عِبَادِ17
रहे वे लोग जो इससे बचे कि वे ताग़ूत (बढ़े हुए फ़सादी) की बन्दगी करते है और अल्लाह की ओर रुजू हुए, उनके लिए शुभ सूचना है।
الَّذِينَ يَسْتَمِعُونَ الْقَوْلَ فَيَتَّبِعُونَ أَحْسَنَهُ ۚ أُولَـٰئِكَ الَّذِينَ هَدَاهُمُ اللَّهُ ۖ وَأُولَـٰئِكَ هُمْ أُولُو الْأَلْبَابِ18
अतः मेरे उन बन्दों को शुभ सूचना दे दो जो बात को ध्यान से सुनते है; फिर उस अच्छी से अच्छी बात का अनुपालन करते है। वही हैं, जिन्हें अल्लाह ने मार्ग दिखाया है और वही बुद्धि और समझवाले है
أَفَمَنْ حَقَّ عَلَيْهِ كَلِمَةُ الْعَذَابِ أَفَأَنْتَ تُنْقِذُ مَنْ فِي النَّارِ19
तो क्या वह व्यक्ति जिसपर यातना की बात सत्यापित हो चुकी है (यातना से बच सकता है)? तो क्या तुम छुड़ा लोगे उसको जो आग में है
لَـٰكِنِ الَّذِينَ اتَّقَوْا رَبَّهُمْ لَهُمْ غُرَفٌ مِنْ فَوْقِهَا غُرَفٌ مَبْنِيَّةٌ تَجْرِي مِنْ تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ ۖ وَعْدَ اللَّهِ ۖ لَا يُخْلِفُ اللَّهُ الْمِيعَادَ20
अलबत्ता जो लोग अपने रब से डरकर रहे उनके लिए ऊपरी मंज़िल पर कक्ष होंगे, जिनके ऊपर भी निर्मित कक्ष होंगे। उनके नीचे नहरें बह रही होगी। यह अल्लाह का वादा है। अल्लाह अपने वादे का उल्लंघन नहीं करता
أَلَمْ تَرَ أَنَّ اللَّهَ أَنْزَلَ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَسَلَكَهُ يَنَابِيعَ فِي الْأَرْضِ ثُمَّ يُخْرِجُ بِهِ زَرْعًا مُخْتَلِفًا أَلْوَانُهُ ثُمَّ يَهِيجُ فَتَرَاهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ يَجْعَلُهُ حُطَامًا ۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَذِكْرَىٰ لِأُولِي الْأَلْبَابِ21
क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी उतारा, फिर धरती में उसके स्रोत प्रवाहित कर दिए; फिर उसने द्वारा खेती निकालता है, जिसके विभिन्न रंग होते है; फिर वह सूखने लगती है; फिर तुम देखते हो कि वह पीली पड़ गई; फिर वह उसे चूर्ण-विचूर्ण कर देता है? निस्संदेह इसमें बुद्धि और समझवालों के लिए बड़ी याददिहानी है
أَفَمَنْ شَرَحَ اللَّهُ صَدْرَهُ لِلْإِسْلَامِ فَهُوَ عَلَىٰ نُورٍ مِنْ رَبِّهِ ۚ فَوَيْلٌ لِلْقَاسِيَةِ قُلُوبُهُمْ مِنْ ذِكْرِ اللَّهِ ۚ أُولَـٰئِكَ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ22
अब क्या वह व्यक्ति जिसका सीना (हृदय) अल्लाह ने इस्लाम के लिए खोल दिया, अतः वह अपने रब की ओर से प्रकाश पर है, (उस व्यक्ति के समान होगा जो कठोर हृदय और अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल है)? अतः तबाही है उन लोगों के लिए जिनके दि कठोर हो चुके है, अल्लाह की याद से ख़ाली होकर! वही खुली गुमराही में पड़े हुए है
اللَّهُ نَزَّلَ أَحْسَنَ الْحَدِيثِ كِتَابًا مُتَشَابِهًا مَثَانِيَ تَقْشَعِرُّ مِنْهُ جُلُودُ الَّذِينَ يَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ ثُمَّ تَلِينُ جُلُودُهُمْ وَقُلُوبُهُمْ إِلَىٰ ذِكْرِ اللَّهِ ۚ ذَٰلِكَ هُدَى اللَّهِ يَهْدِي بِهِ مَنْ يَشَاءُ ۚ وَمَنْ يُضْلِلِ اللَّهُ فَمَا لَهُ مِنْ هَادٍ23
अल्लाह ने सर्वोत्तम वाणी अवतरित की, एक ऐसी किताब जिसके सभी भाग परस्पर मिलते-जुलते है, जो रुख़ फेर देनेवाली (क्रांतिकारी) है। उससे उन लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है जो अपने रब से डरते है। फिर उनकी खालें (शरीर) और उनके दिल नर्म होकर अल्लाह की याद की ओर झुक जाते है। वह अल्लाह का मार्गदर्शन है, उसके द्वारा वह सीधे मार्ग पर ले आता है, जिसे चाहता है। और जिसको अल्लाह पथभ्रष्ट रहने दे, फिर उसके लिए कोई मार्गदर्शक नहीं
أَفَمَنْ يَتَّقِي بِوَجْهِهِ سُوءَ الْعَذَابِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۚ وَقِيلَ لِلظَّالِمِينَ ذُوقُوا مَا كُنْتُمْ تَكْسِبُونَ24
अब क्या जो क़ियामत के दिन अपने चहरें को बुरी यातना (से बचने) की ढाल बनाएगा वह (यातना से सुरक्षित लोगों जैसा होगा)? और ज़ालिमों से कहा जाएगा, "चखों मज़ा उस कमाई का, जो तुम करते रहे थे!"
كَذَّبَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَأَتَاهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَيْثُ لَا يَشْعُرُونَ25
जो लोग उनसे पहले थे उन्होंने भी झूठलाया। अन्ततः उनपर वहाँ से यातना आ पहुँची, जिसका उन्हें कोई पता न था
فَأَذَاقَهُمُ اللَّهُ الْخِزْيَ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا ۖ وَلَعَذَابُ الْآخِرَةِ أَكْبَرُ ۚ لَوْ كَانُوا يَعْلَمُونَ26
फिर अल्लाह ने उन्हें सांसारिक जीवन में भी रुसवाई का मज़ा चखाया और आख़िरत की यातना तो इससे भी बड़ी है। काश! वे जानते
وَلَقَدْ ضَرَبْنَا لِلنَّاسِ فِي هَـٰذَا الْقُرْآنِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ27
हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए हर प्रकार की मिसालें पेश कर दी हैं, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें
قُرْآنًا عَرَبِيًّا غَيْرَ ذِي عِوَجٍ لَعَلَّهُمْ يَتَّقُونَ28
एक अरबी क़ुरआन के रूप में, जिसमें कोई टेढ़ नहीं, ताकि वे धर्मपरायणता अपनाएँ
ضَرَبَ اللَّهُ مَثَلًا رَجُلًا فِيهِ شُرَكَاءُ مُتَشَاكِسُونَ وَرَجُلًا سَلَمًا لِرَجُلٍ هَلْ يَسْتَوِيَانِ مَثَلًا ۚ الْحَمْدُ لِلَّهِ ۚ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ29
अल्लाह एक मिसाल पेश करता है कि एक व्यक्ति है, जिसके मालिक होने में कई क्यक्ति साक्षी है, आपस में खींचातानी करनेवाले, और एक क्यक्ति वह है जो पूरा का पूरा एक ही व्यक्ति का है। क्या दोनों का हाल एक जैसा होगा? सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, किन्तु उनमें से अधिकांश लोग नहीं जानते
إِنَّكَ مَيِّتٌ وَإِنَّهُمْ مَيِّتُونَ30
तुम्हें भी मरना है और उन्हें भी मरना है
ثُمَّ إِنَّكُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ عِنْدَ رَبِّكُمْ تَخْتَصِمُونَ31
फिर निश्चय ही तुम सब क़ियामत के दिन अपने रब के समक्ष झगड़ोगे